India China Tension: आख़िर चीन को भारत से क्यों लग रहा है डर

India China Clash: जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की समाप्ति को चीन अपने बेल्ड एंड रोड प्रोजेक्ट में मान रहा है रुकावट, भारत को अमेरिका की मदद मिलने का संदेह

Updated: Sep 19, 2020, 01:36 AM IST

Photo Courtsey: Dawn.com
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नई दिल्ली। भारत चीन के बीच सीमा पर गोलीबारी की खबरों से दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। थल सेना अध्यक्ष और भारत के विदेश मंत्री परिस्थितियों को बेहद गंभीर और चिंताजनक बता चुके हैं। हालांकि, इस बीच दोनों देश के सैन्य अधिकारी लगातार बैठकें कर रहे हैं ताकि तनाव को कम किया जा सके। हाल ही में मॉस्को में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के दौरान दोनों देशों के रक्षा मंत्री ने बातचीत की थी। इस बैठक में दोनों देशों ने तनाव के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराते हुए पूरी मजबूती से संप्रभुता की रक्षा करने की बात कही थी। हलांकि, दोनों पक्षों ने संवाद के जरिए विवाद हल करने की बात फिर से दोहराई थी। 

15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प को पिछले 45 साल की सबसे हिंसक झड़प बताया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत द्वारा कश्मीर के विशेषाधिकार दर्जे को खत्म कर देने से चीन की चिंताएं बढ़ी हैं, जिसकी परिणति ही 45 साल के सबसे हिंसक झड़प के रूप में हुई। 

कश्मीर का विशेष दर्जा हटाए जाने के कदम को चीन ने भारत की एकतरफा कार्रवाई के रूप में देखा और संयुक्त राष्ट्र में अपना विरोध जताया। दोनों देशों के बीच वर्तमान विवाद कराकोरम दर्रे के इलाकों को लेकर है। ये इलाके चीन के महत्वकांक्षी बेल्ड एंड रोड प्रोजेक्ट के लिए बेहद जरूरी हैं। 

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चीन और भारत के बीच 1962 में हुए युद्ध के बाद एक अस्पष्ट सी संधि हुई थी। इस युद्ध के बाद चीन ने अक्साई चिन पर कब्जा कर लिया। भारत अभी भी इस क्षेत्र पर अपना दावा करता है। चीन का बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट इसी इलाके से होकर जाना है, जो इसे पश्चिमी एशिया, अफ्रीका और यूरोपीय देशों तक एक्सेस देगा। ऐसे में भारत द्वारा लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में स्थापित करने से चीन की बेचैनी बढ़ी है और वह लगातार आक्रामक होता जा रहा है। 

साथ ही साथ यह बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट तिब्ब्त और शिनजियांग को भी जोड़ेगा। जिससे इन इलाकों में उठ रही विरोध की आवाजों को दबाना चीन के लिए आसान हो जाएगा। 

2012 से 2014 के बीच भारतीय सेना के सलाहकार रहे लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया का कहना है कि जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाए जाने को चीन ने क्षेत्र में अपने हितों पर हमले के रूप में देखा है। खासकर उन आधारभूत प्रोजेक्ट्स के संबंध में जो पाकिस्तान को चीन से जोड़ने वाले हैं। 

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उन्होंने यह भी बताया कि भारत के गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अक्साई चीन की आजादी की बात से भी चीन असहज और उसके परिणाम में आक्रामक हुआ है। 

भारत और चीन के बीच बढ़ते जा रहे विवाद में अमेरिका फैक्टर ने भी बड़ी भूमिका निभाई है। अमेरिका और चीन के बीच इस समय एक शीत युद्ध चल रहा है और चीन भारत को इस शीत युद्ध में अमेरिका के प्यादे के रूप में देख रहा है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने भी अपनी पूर्व की गुट निरपेक्षता की नीति से अलग हटते हुए अमेरिका के प्रति अपने झुकाव को दर्शाया है। 

अमेरिका और भारत के इस गठजोड़ को चीन अपने उदय की राह में एक रुकावट के तौर पर देख रहा है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध, हांगकांग, उइगर मुसलमानों के मानवाधिकार हनन और दक्षिण चीन सागर जैसे मुद्दों पर पहले से ही गहमागहमी मची हुई है। कोरोना वायरस संकट को लेकर भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। 

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रक्षा विशेषज्ञ प्रवीण साहनी कहते हैं, “भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे के हटाए जाने का बाद जहां चीन ने तुरंत प्रतिक्रिया दी, वहीं एलएसी पर भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती बताती है कि चीन भारत को अमेरिका के सहयोगी के रूप में देख रहा है और यह तैनाती एक वृहद संघर्ष की तैयारी से उद्देश्य से की गई है।”

पेकिंग विश्वविद्यालय में भारत के संबंध में अध्ययन करने वाले वांग लियान न्यूज एजेंसी एएफपी को बताते हैं कि चीन को यह आशंका है कि सीमा विवाद बढ़ने पर भारत को अमेरिका की मदद मिल सकती है।