भारत ने तालिबानी हुकूमत को दी मान्यता, सुरक्षा परिषद में भारत समेत 13 देशों ने जताई सहमति

सुरक्षा परिषद के सत्र में एक प्रस्ताव लाया गया, जिसमें तालिबानी हुकूमत को सशर्त मान्यता दी गई, हालांकि वीटो पावर वाले रूस और चीन जैसे देश ने इस प्रस्ताव से दूरी बना ली

Updated: Sep 01, 2021, 07:47 AM IST

नई दिल्ली। अफगानिस्तान में कायम तालिबानी हुकूमत को भारत ने मान्यता दे दी है। मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की भारत की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में तालिबानी हुकूमत को मान्यता दी गई। भारत समेत तेरह देशों ने तालिबानी हुकूमत को मान्यता दी है। जबकि वीटो पावर वाले चीन और रूस ने तालिबानी हुकूमत को मान्यता देने वाले इस प्रस्ताव से दूरी बना ली। 

मंगलवार को सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्यक्षता भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला का रहे थे। बैठक में फ्रांस की तरफ से तालिबानी हुकूमत को मान्यता देने वाला प्रस्ताव लाया गया, जिस पर भारत के साथ साथ अमेरिका और ब्रिटेन सहित कुल तेरह देशों ने अपनी सहमति प्रदान कर दी। जबकि चीन और रूस ने इस प्रस्ताव पर समर्थन या विरोध जाहिर नहीं किया। 

हालांकि तालिबानी हुकूमत को यह मान्यता कुछ शर्तों के आधार पर दी गई है। मसलन, पारित किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि तालिबान अफगानिस्तान का उपयोग आतंकवादियों के पनाहगार के तौर पर नहीं करेगा। वहीं अफगानिस्तान का उपयोग किसी दूसरे देश से बदला लेने, धनकाने या आतंकवाद फैलाने में नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही प्रस्ताव में यह भी मांग की गई है कि जो भी लोग अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं, उन्हें अफगानिस्तान से निकलने की अनुमति भी दी जाए। 

तालिबानी हुकूमत को लेकर भारत सरकार का स्टैंड अब लगभग साफ हो चुका है। भारत सरकार अब तक तालिबानी शासन को मान्यता देने के मसले पर वेट एंड वॉच की रणनीति ही अपना रही थी। लेकिन तालिबानी शासन को सशर्त मान्यता देने के प्रस्ताव पर अपनी सहमति ज़ाहिर करने के बाद तालिबान को लेकर भारत सरकार का रुख अब स्पष्ट हो गया है। 

दूसरी तरफ भारत सरकार ने तालिबान से बातचीत भी शुरू कर दी है। अफगानिस्तान ने अमेरिका के पूरी तरह से लौटने के बाद भारत सरकार ने दोहा में तालिबान के नेताओं से मुलाकात की। मंगलवार को भारतीय राजदूत दीपक मित्तल ने कतर की राजधानी दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख शेर मोहम्मद अब्बास से बातचीत की। 

हालांकि विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि इस बातचीत के लिए तालिबान की तरफ से अनुरोध किया गया था। जिसके बाद यह बैठक भारतीय दूतावास में हुई। इस औपचारिक बातचीत की शुरुआत के बाद इस बात के भी कयास लगने शुरू हो गए हैं कि भारत सरकार अब अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने वाली तालिबानी हुकूमत के साथ जल्द ही राजनयिक संबंध भी स्थापित कर सकती है।