बाइडेन ने पुतिन को दी धमकी, रूस अमेरिका में जंग छिड़ गई तो होगा तीसरा विश्व युद्ध

बाइडेन ने कहा कि रूस कभी यूक्रेन नहीं जीत पाएगा, यदि रूस उक्रेन के खिलाफ रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल करता है तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी

Updated: Mar 12, 2022, 04:55 AM IST

वॉशिंगटन। रूस-यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच अमेरिका लगातार आग में घी डालने का काम कर रहा है। इसी कड़ी में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूसी राष्ट्रपति ने कहा है कि यदि रूस उक्रेन के खिलाफ रासायनिक हथियारों इस्तेमाल करता है तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। बाइडेन ने कहा कि अमेरिका यूक्रेन में रूस से नहीं लड़ेगा, क्योंकि नाटो और मॉस्को के बीच सीधे टकराव से तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो जाएगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि हम यूरोप में अपने सहयोगियों के साथ खड़े रहेंगे और सही संदेश देंगे। हम अमेरिका की पूरी ताकत से नाटो क्षेत्र के हर इंच की रक्षा करेंगे और नाटो की मदद करेंगे। बाइडेन ने कहा कि नाटो और रूस के बीच सीधा टकराव तृतीय विश्व युद्ध की ओर ले जाएगा। यह कुछ ऐसा होगा जिसे हमें रोकने की कोशिश करनी चाहिए।

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बाइडेन ने यह भी कहा कि रूस कभी यूक्रेन नहीं जीत पाएगा। उन्होंने कहा कि पुतिन बिना किसी लड़ाई के यूक्रेन पर हावी होने की उम्मीद थी, वह असफल रहे। हम यूक्रेन के लोगों के साथ खड़े हैं। हम निरंकुश शासकों को दुनिया की दिशा तय करने नहीं देंगे।

उधर हाल ही में रूस ने धमकी दी कि वो यूरोप को गैस सप्लाई रोक देगा। इसके अलावा रूस चाहे तो कच्चे तेल की कीमतें 300 डॉलर तक पहुंचा सकता है। रूस के डिप्टी प्राइम मिनिस्टर एलेक्जेंडर नोवाक ने कहा है कि ये पूरी तरह से साफ है कि अगर रूसी तेल को रिजेक्ट किया गया तो ग्लोबल मार्केट पर इसके भयानक दुष्परिणाम होंगे। क्रूड ऑयल की कीमतों में ऐसी तेजी आएगी, जिसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता। 

ऐसे में माना जा रहा है कि अगर रूस ने इंटरनेशनल सप्लाई पर रोक लगाई तो दुनिया भर की अर्थव्यवस्था पर संकट पैदा होना तय है। हालांकि कच्चे तेल के लगातार बढ़ते दामों में इस संकट की आहट सुनाई दे रही है। रूस के तेवर से साफ है कि वो पीछे हटने वाला नहीं है ना तो युद्ध के मैदान में और ना ही इंटरनेशनल बाज़ार में, लेकिन महंगाई के संकट का सामना कर रहे अमेरिका के लिए ये फैसला बहुत घातक सिद्ध होने वाला है। क्योंकि अमेरिका पहले ही 40 साल की सबसे अधिक महंगाई से जूझ रहा है और पेट्रोल की कीमतें 14 साल में सबसे ज्यादा हैं। लेकिन इसके बाद भी अमेरिका रूस से तेल ना खरीदने का ऐलान कर चुका है।