Rohingya Massacre: रोहिंग्या मुसलमानों को मारने और बलात्कार करने का मिला था आदेश

Myanmar Army: दो पूर्व सैनिकों ने बताए आदेश देने वाले सैन्य अधिकारियों के नाम, पुरुषों को सर में मारी गोली, महिलाओं को मारने से पहले किया बलात्कार

Updated: Sep 10, 2020, 05:00 AM IST

Photo Courtsey: The Wall Street Journal
Photo Courtsey: The Wall Street Journal

म्यामार की सेना छोड़ चुके दो सैनिकों ने स्वीकार किया है कि उन्हें रोहिंग्या मुसलमानों को मारने और बलात्कार करने का आदेश मिला था। इन दोनों में से एक ने खुद बलात्कार करने की बात भी स्वीकारी है। एक मानवाधिकार समूह ने यह जानकारी दी है। 2017 में बुद्ध धर्म के अनुयाइयों के बहुलता वाले म्यामार में हुए रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार में यह सेना से जुड़े व्यक्तियों का इस तरह का पहला कबूलनामा है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय इस नरसंहार से जुड़े पहलुओं की जांच कर रहा है। 

कहा जा रहा है कि इस कबूलनामे के बाद नरसंहार में म्यामार की सेना की भूमिका की जांच में काफी मदद मिलेगी। म्यामार की सरकार और सेना अब तक यह नकारते आए हैं कि इस नरसंहार में उनका कोई हाथ रहा है। 

अगस्त 2017 में करीब सात लाख रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़ना पड़ा। इससे ठीक पहले देश के रखाइन प्रांत में एक हथियारबंद समूह ने हमला किया था, जिसके बाद देश में रोहिंग्या मुसलमानों का नरसंहार शुरू हुआ। 

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मानवाधिकार समूह फोर्टिफाई राइट्स के अनुसार इन दोनों पूर्व सैनिकों के नाम यो विन तुन और जॉ नाइन तुन हैं। ये दोनों सैनिक म्यामार की सेना में अलग-अलग इनफैंट्री में भर्ती थे। दोनों ने कुल मिलाकर 19 सैनिकों और कमांडरों के नाम दिए हैं, जिन्होंने रोहिंग्या मुसलमानों का नरसंहार और महिलाओं का बलात्कार करने का आदेश दिया था। 

यो विन तुन ने बताया कि 15 वें मिलिट्री ऑपरेशन की तरफ से आदेश मिला, “सभी रोहिंग्या मुसलमानों को मार डालो। सैनिकों ने पुरुषों के सिर में गोली मारने के बाद उन्हें गढ्ढों में फेंक दिया। महिलाओं और बच्चियों को मारने से पहले उनका बलात्कार किया गया।” 

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अंतरराष्ट्रीय न्यायालय और संयुक्त राष्ट्र ने रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हुए नरसंहार के पहलुओं का वृहद लेखा जोखा तैयार किया है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पिछले साल इस नरसंहार के लिए म्यामार सरकार को दोषी मानकर सुनवाई शुरू की थी। यह सुनवाई वर्षों तक चलेगी।