मजदूरों की 'दयनीय' हालत पर SC ने सरकारों को नोटिस भेजा

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को खुद संज्ञान लेते हुए पूछा है कि श्रमिकों की भलाई के लिए क्या कदम उठाए गए.

Publish: May 27, 2020, 07:42 AM IST

Photo: Swaraj Express
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कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रवासी मजदूरों की दयनीय हालत का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है. जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने इस नोटिस पर 28 मई तक जवाब मांगा है.

बेंच ने नोटिस में सवाल किया कि प्रवासी मजदूरों की हालत में सुधार के लिए क्या कदम उठाए गए. इस मामले पर अगली सुनवाई 28 मई को होगी.

दरअसल, लॉकडाउन का सबसे बुरा असर प्रवासी कामगारों पर ही पड़ा. लॉकडाउन की वजह से कामकाज छिन जाने के कारण वे बड़े-बड़े महानगरों से अपने घर के लिए सैंकड़ों किलोमीटर पैदल ही चलने के लिए मजबूर हुए. इस दौरान कई प्रवासी श्रमिक दुर्घटनाओं का शिकार होकर मौत को भी प्राप्त हो गए.

हालांकि, बाद में सरकार ने श्रमिक ट्रेनें चलाईं लेकिन उनका किराया भी श्रमिकों से वसूला गया. ट्रेन चलने के बाद भी कई श्रमिक पैदल ही चलते रहे.

लॉकडाउन के शुरुआती दौर में प्रवासी मजदूरों को कैश उपलब्ध कराने और उन्हें बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार उन्हें राशन उपलब्ध करा रही है, इसलिए उन्हें कैश की जरूरत नहीं है.

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वहीं सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के 29 मार्च के उस हलफनामे पर भी भरोसा कर लिया था जिसमें सरकार ने सड़क पर एक भी प्रवासी के ना होने की बात कही थी. वहीं इससे पहले सैंकड़ों किलोमीटर पैदल चल रहे मजदूरों को सुविधाएं प्रदान करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो उन्हें पैदल चलने से नहीं रोक सकता.