स्वास्थ्यकर्मियों की गुहार, महामारी में हमारी भी सुनो सरकार, 19 हजार संविदा स्वास्थ्यकर्मी हड़ताल पर

मध्यप्रदेश के 19 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी के साथ कोविड अस्थाई कर्मियों ने काम किया बंद, कई मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, अस्पतालों में अव्यवस्था का आलम, मरीजों का इलाज, कोरोना टेस्टिंग, वैक्सीनेशन का काम प्रभावित

Updated: May 25, 2021, 08:08 AM IST

Photo courtesy: news 18
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भोपाल। कोरोना महामारी के बीच मध्यप्रदेश के 19 हजार संविदा स्वास्थ्यकर्मी और साढे 4 हजार से ज्यादा कोविड अस्थाई कर्मी हड़ताल पर चले गए हैं। संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बेमियादी हड़ताल करने का फैसला किया है। हड़ताली संविदा स्वास्थ्यकर्मियों ने भोपाल के जेपी अस्पताल में ताली, थाली और शंख बजाकर प्रदर्शन किया। इस हड़ताल में संविदा डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ भी शामिल है।

वहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के 19000 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की दो प्रमुख मांगें हैं। उनकी मांग है कि सरकार द्वारा 5 जून 2018 को पारित हुई नीति के अनुसार नियमित कर्मचारियों बराबर 90 प्रतिशत वेतन मिले और निष्कासित साथी और सपोर्ट स्टाफ साथी, जिन्हें आउटसोर्स एजेंसी में भेजा गया है, उन्हें जल्द से जल्द NHM में वापस बुलाया जाए।

गौरतलब है कि 17 मई से ये कर्मचारी काली पट्टी बांधकर सिलसिलेवार आंदोलन कर रहे थे। लेकिन जब उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने कामबंद करने का फैसला लिया है। संविदाकर्मियों की हड़ताल से अस्पतालों की व्यवस्था चरमरा गई है। वहीं इस हड़ताल में नर्स औऱ पैरामेडिकल स्टाफ भी शामिल है, जिससे वैक्सीनेशन, कोरोना जांच और किल कोरोना जैसे अभियान पर भी असर पड़ रहा है।

संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की प्रदेशव्यापी अनिश्चित कालीन हड़ताल में आयुष डॉक्टर्स, फार्मासिस्ट, लैब तकनीशियन, स्टाफ नर्स, ANM, डाटा मैनेजर, BCM, डाटा एंट्री ऑपरेटर, BPM, सपोर्ट स्टॉफ, DHS, अकाउंटेंट, टीबी और एड्स इलाज में लगे स्वास्थ्य कर्मचारी शामिल हैं। संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने सरकार पर उनके हितों की अनदेखी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि सरकार उनकी मांगों की तरफ ध्यान नहीं दे रही है। वे कोरोना के कठिन समय में काम बंद नहीं करना चाहते हैं।

कर्मचारी संघ का आरोप है कि सरकार की अनदेखी ने उन्हें हड़ताल करने पर मजबूर किया है। संघ का कहना है कि संविदा स्वास्थ्यकर्मियोंम की हड़ताल का प्रभाव एवं मरीजों को हो रही दिक्कतों की जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी। इससे पहले कोरोना महामारी के दौर में मध्यप्रदेश के जूनियर डाक्टर भी हड़ताल कर चुके हैं। उन्होंने स्टाइफंड बढ़ाने और कोरोना काल में क्लासेस नहीं होने की वजह से फीस माफी की मांग की थी। साथ ही उनकी मांग थी कि अगर कोरोना ड्यूटी के दौरान कोई जूनियर डाक्टर संक्रमित होता है तो उसका बेहतर इलाज प्रदेश सरकार द्वारा कराया जाए। इस मामले में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन को चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया था, जिसके बाद जूनियर डाक्टरों ने हड़ताल रद्द कर दी थी।   

 

मध्यप्रदेश में कोरोना मरीजों के मिलने का सिलसिला धीमा हुआ है। बीते 24 घंटों में 2,422 नए संक्रमित मरीज मिले हैं। वहीं 68 मरीजों की मौतें हुई है। राज्य का रिकवरी रेट 93फीसदी हो गया है। कल 7 हजार 373 मरीजों की रिकवरी हुई है। वहीं कोरोना एक्टिव मरीजों की संख्या 48,634 हो गई है। जिनमें से बड़ी संख्या में मरीज अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं। कोरोना के साथ-साथ ब्लैक, व्हाइट और यलो फंगस का कहर भी जारी है, ऐसे में संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल से अस्पतालों में हाहाकार मचा हुआ है।