प्रदेश की 75 हज़ार से ज़्यादा आशा-उषा कार्यकर्ता हड़ताल पर, तीस दिनों के वेतन की मांग

आशा कार्यकर्ता अपनी सात सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर चली गई हैं, आशा कार्यकर्ताओं की हड़ताल के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण अभियान में भारी गिरावट दिखने के आसार हैं

Updated: Jun 22, 2021, 05:55 AM IST

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

भोपाल। लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आवाज़ उठाते आईं आशा कार्यकर्ता अब हड़ताल पर चली गई हैं। 21 जून से वैक्सीनेशन के महाअभियान की शुरुआत होते ही प्रदेश की लगभाग 75 हजार आशा कार्यकर्ताओं ने काम बंद कर देने का मन बना लिया है। आशा कार्यकर्ताओं ने रविवार को ही अपनी हड़ताल का एलान कर दिया था। 

आशा कार्यकर्ताओं ने हड़ताल पर जाने का फैसला अपनी सात सूत्रीय मांगों की पूर्ति न होने को लेकर लिया है। लंबे समय से उनकी मांग है कि उन्हें तीस दिनों का वेतन मिलना चाहिए। अभी आशा कार्यकर्ताओं को 25 दिनों के वेतन का ही भुगतान किया जाता है। आशा कार्यकर्ताओं को डिलीवरी कराने के लिए अभी 600 रुपए मिलते हैं, जबकि वो 1200 रुपए के भुगतान की मांग कर रही हैं।इसके साथ ही उन्हें शासकीय कर्मचारियों का दर्जा देने की पुरानी मांग भी इस हड़ताल का मुख्य बिंदु है। 

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जब राज्य सरकार एक दिन में 16 लाख 41 हज़ार कोरोना वैक्सीन का दावाकर अपनी पीठ थपथपाने में लगी है तब आशा कार्यकर्ताओं की ये चेतावनी सरकार के टीकाकरण अभियान की योजना पर असर डाल सकती है। उनकी हड़ताल ने राज्य सरकार की चिंता बढ़ा दी है। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण अभियान आशा कार्यकर्ताओं के ही जिम्मे है। माना जा रहा है कि इनके हड़ताल पर जाने के कारण मध्यप्रदेश सरकार का टीकाकरण अभियान बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है। हालांकि सरकारी अधिकारियों के दावे के मुताबिक इससे टीकाकरण अभियान पर कोई असर नहीं पड़ेगा।