खाद लूट केस में कांग्रेस MLA की जमानत याचिका खारिज, किसानों के लिए खोला था गोदाम का शटर

कई दिनों से परेशान किसानों को नहीं मिल रहा था खाद, अन्नदाताओं को परेशान देख कांग्रेस विधायक मनोज चावला ने खोल दिया था वेयर हाउस का दरवाजा, अब झेल रहे हैं खाद लूट का मुकदमा

Updated: Jan 08, 2023, 10:02 AM IST

आलोट। खाद गोदाम का शटर उठवा कर किसानों को खाद दिलाने वाले आलोट विधानसभा से कांग्रेस विधायक मनोज चावला की मुश्किलें बढ़ गई हैं। खाद लूट व डकैती के प्रकरण में हाई कोर्ट ने चावला की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। इससे पहले जनप्रतिनिधि विशेष न्यायालय इंदौर भी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर चुका है। चावला करीब दो महीने से इस मामले में फरार चल रहे हैं।

जमानत याचिका को खारिज करते हुए जज ने अपने फैसले में लिखा, 'आप पब्लिक लीडर व एमएलए हो लॉ एंड आर्डर मेंटेन करना आपकी जिम्मेदारी है, शासकीय तंत्र से आपूर्ति नहीं हो रही तो भी आपको अपराध हाथ में लेने की कोई जरूरत नहीं थी।' खाद लूट कांड के इसी केस में विधायक चावला साथ सह आरोपी जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष योगेंद्र सिंह जादोन इंदौर की सेंट्रल पिछले 57 दिनों से बंद हैं।

यह भी पढ़ें: भोपाल में करणी सेना का शक्ति प्रदर्शन, जंबूरी मैदान में गूंजा हम हैं माई के लाल का नारा, विधानसभा घेरने की चेतावनी दी

दरअसल, पिछले साल नवंबर में मध्य प्रदेश में खाद की भयंकर किल्लत थी। किसान खाद के लिए भूखे प्यासे कई दिनों तक लाइन में खड़े रहते बावजूद उन्हें खाद नहीं मिल पा रहा था। अपने विधानसभा क्षेत्र के किसानों की परेशानी कांग्रेस विधायक से देखा नहीं गया और एक दिन उन्होंने गोदाम का शटर ही उठा दिया। इस दौरान वहां मौजूद सभी किसान खाद लेकर चले गए। इसके बाद विधायक मनोज चावला समेत 12 लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया।

विधायक चावला की तरफ से उनके वकील ने तर्क दिया कि उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है। चावला का अभियोग पूरी तरह से राजनीतिक रूप से उन्मुख दुश्मनी पर आधारित है, क्योंकि वे आलोट विधानसभा के वर्तमान विधायक हैं। वास्तव में, उर्वरक वितरण में विभिन्न अनियमितताओं के बारे में निराश किसानों की शिकायतों के बाद चावला गोदाम पर पहुंचे थे और किसानों को खाद देने के लिए कहा था। सार्वजनिक नेता होने के नाते चावला पर निर्भर था कि वे किसानों की जरूरतों को पूरा करे, जिन्हें समय पर उर्वरकों की सख्त जरूरत थी, अन्यथा फसलों के विकास पर संकट था। हालांकि, कोर्ट ने इन तर्कों को खारिज कर दिया।