कोरोना योद्धाओं के सामने रोजी-रोटी का संकट, CM हाउस के बाहर धरने पर बैठे तो पुलिस ने किया गिरफ्तार

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि कोरोना महामारी आई तो कोई घर से नहीं निकल पा रहा था। आपात स्थिति में हमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कोरोना वॉरियर्स के रूप में तैनात किया गया, लेकिन अब हमें बेरोजगार कर दिया।

Updated: Sep 23, 2023, 05:44 PM IST

भोपाल। कोरोना संकट काल के वक्त जब स्वास्थ्य सुविधाएं अस्त-व्यस्त हो गई थी, तब अपनी जान की परवाह किए बगैर सेवाएं देने वाले कोरोना वारियर्स आज रोजी-रोटी के संकट से जूझ रहे हैं। यह सभी वही स्वास्थ्य कर्मी हैं, जिन्हें संकट काल में कोरोना योद्धा का दर्जा दिया गया था और फूल बरसाए गए थे। लेकिन कोविड के बाद इनकी सुध लेना तो दूर इन्हें बेरोजगार कर दिया गया। शनिवार को वे अपनी मांगों को लेकर सीएम हाउस के बाहर धरने पर बैठे तो भोपाल पुलिस ने न सिर्फ उनके साथ मारपीट की बल्कि गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

कोविड 19 स्वास्थ्यकर्मी अपनी नियुक्ति की मांग को लेकर पिछले एक सप्ताह से लगातार कर्मचारी भवन में भूख हड़ताल पर थे। शनिवार को वे सीएम हाउस पहुंचे और बाहर धरने पर बैठ गए। इस दौरान पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। ग्वालियर से आई एक युवती बेहोश भी हो गईं। जिन्हें जेल रोड स्थित एक अस्पताल में भर्ती किया गया।प्रदर्शनकारियों ने बताया कि पुलिस ने बस में अत्यधिक संख्या में लोगों को ठूस दिया, जिसके बाद संगीता राठौर उर्फ पिंकी बेहोश हो गईं। 

कोविड 19 स्वास्थ्य सेवा संगठन के प्रदेश प्रभारी सुशील गर्ग ने कहा कि हम लोग 52 जिलों के योद्धा इकट्ठा हुए थे। हम सीएम साहब से मिलने जा रहे थे, क्योंकि हमें उन्हें ज्ञापन देना था। पुलिस द्वारा हमें खदेड़ा गया और हमें डंडों से मारा गया और हमें जेल भेज दिया गया। हमारे साथ आई एक बहन बेहोश हो गई। उनकी हालत गंभीर है। उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है।

बता दें कि कोरोना काल में सेवाएं देने के बाद भी इन्हें निकाल दिया गया था। ये सभी संविदा पर थे। प्रदेश में अब 5 हजार से अधिक कर्मचारी रोजी-रोटी के लिए मोहताज हो रहे हैं। इनके परिवार में बच्चों को पढ़ाने तक के पैसे नहीं है। ऐसे में ये कहां जाएं। इनकी मांग है कि इन्हें वापस बहाल कर इनका नियमितीकरण किया जाए।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पूरी दुनिया में जब कोरोना महामारी आई तो उस समय कोई घर से नहीं निकल पा रहा था। हम लोगों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत स्वास्थ्य विभाग में कोरोना वॉरियर्स के रूप में तैनात किया गया, लेकिन अब हमें बेरोजगार कर दिया गया है। हमारे सामने आर्थिक समस्या आ पड़ी है। हमारी सरकार से मांग है कि हमें दोबारा स्वास्थ्य विभाग में बहाल किया जाए।