दमोह पुलिस असंवेदनशील, आदिवासियों पर हो रहा अत्याचार, दिग्विजय सिंह ने CM शिवराज को लिखा पत्र

दमोह शासकीय महाविद्यालय के ग्रेड 3 कर्मचारी आत्महत्या मामले ने पकड़ा तूल, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने सीएम शिवराज को पत्र लिखकर अवगत कराया, दोषियों को गिरफ्तार करने की मांग

Updated: Oct 30, 2021, 11:07 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के दमोह जिले में आदिवासी समुदाय से आने वाले ग्रेड-3 कर्मचारी की आत्महत्या मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस घटना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री व दिग्गज कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। राज्यसभा सांसद ने पत्र के माध्यम से सीएम को घटना से अवगत कराते हुए लिखा है कि दमोह पुलिस असंवेदनशील हो गई है।

दरअसल, दमोह ज़िले में 20 दिन पहले शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय दमोह में सहायक ग्रेड 3 कर्मचारी के रूप में कार्यरत चतुरसिंह उइके ने कॉलेज कैंपस में आत्माहत्या कर ली थी। मृतक ने आत्महत्या से पहले उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त को एक शिकायती पत्र के साथ सुसाइड नोट भेजा था। इसमें उन्होंने ने कॉलेज के प्रिंसिपल जीपी अहिरवार एवं अन्य कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के कारण प्रताड़ित किए जाने की सूचना दी थी।

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सीएम शिवराज को संबोधित पत्र में दिग्विजय सिंह ने आश्चर्य जताया है कि इस घटना को 3 सप्ताह हो चुके है और पुलिस ने अभी तक आत्महत्या के लिए मजबूर करने का प्रकरण तक दर्ज नहीं किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि मामले में उच्च स्तर का राजनीतिक दबाव बनाया जा रहा है और बड़े नेताओं के संरक्षण के चलते ही आत्महत्या के लिए उकसाने वाले प्रिंसिपल व अन्य कर्मचारियों पर अभी तक कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है न ही जांच हो रही है।

कांग्रेस नेता के मुताबिक लाखों रुपये की अनियमितता करने वाले लोग सबूत मिटाने में लगे है। उन्होंने दुःख जताया है कि आदिवासी समुदाय के एक शासकीय कर्मचारी को वरिष्ठ अधिकारियों की प्रताड़ना से दुखी होकर आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर होना पड़ा। दिग्विजय सिंह ने लिखा है कि जिला पुलिस कितनी असंवेदनशील हो सकती है, यह मामला इसका जीता जागता उदाहरण है। उन्होंने मांग की है कि इस प्रकरण में प्राचार्य सहित सभी आरोपी स्टाफ को तत्काल हटा कर भ्रष्टाचार और मौत के कारणों की जांच करानी चाहिए।

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दिग्विजय सिंह ने इसे प्रदेश में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों की श्रंखला में यह एक नई कड़ी बताया है। उन्होंने दुख जताया है की पीडि़त आदिवासी परिवार न्याय की गुहार लगा रहा है, लेकिन पुलिस सत्ताधारी दल के नेताओं के दबाव में मूकदर्शक बनी हुई है। सिंह ने पत्र में आगे लिखा है कि प्रदेश में आदिवासियों की जनसंख्या 22 प्रतिशत से अधिक है जो लगातार सरकार की नाइंसाफी का शिकार हो रहे है। उन्होंने परिवार के एक सदस्य को तत्काल अनुकंपा नियुक्ति और मुख्यमंत्री सहायता कोष से 50 लाख रूपये की सहायता देने की मांग की है। साथ ही आरोपियों के खिलाफ एट्रोसिटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर दोषियों को गिरफ्तार करने की मांग की है।