मध्य प्रदेश में DM का परिवार भी सुरक्षित नहीं, खरगोन कलेक्टर की पत्नी की चेन खींच ले गए लुटेरे

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब मॉर्निंग वॉक के लिए निकली खरगोन कलेक्टर की पत्नी की चेन लुट गई।

Updated: Jul 04, 2023, 05:44 PM IST

ग्वालियर। मध्य प्रदेश में लुटेरों के हौसले गजब के हैं। इतने गजब कि आम तो आम खास लोगों को भी नहीं छोड़ रहे हैं। ग्वालियर में लुटेरों ने खरगोन के कलेक्टर शिवराज वर्मा की पत्नी के गले से चेन लूट ली। बड़े अधिकारी की पत्नी के साथ लूट हुई तो ग्वालियर से लेकर भोपाल तक हड़कंप मच गया। आनन-फानन में पुलिस ने नाकेबंदी कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी। दर्जनों टीमें तलाश में जुटी हैं, लेकिन अबतक ना तो लुटेरे मिले और ना ही सोने की चेन।

ग्वालियर में एडीएम रहे शिवराज वर्मा वर्तमान में खरगोन के कलेक्टर हैं। उनका परिवार ग्वालियर में रहता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी पत्नी पुष्पा वर्मा विंडसर रोड इलाके में रोज मॉर्निंग वॉक पर निकलती हैं। सुबह करीब 6 बजे के आसपास जब पुष्पा वर्मा कलेक्ट्रेट पहाड़ी के पास सड़क से गुजर रही थीं, तब पीछे से एक बदमाश आया। उसने पुष्पा वर्मा के गले से चेन छीन ली और आगे खड़े अपने दूसरे साथी के साथ बाइक पर बैठकर भाग निकला।

घटना के बाद पुष्पा सिंह ने अपने पति कलेक्टर शिवराज वर्मा को पूरी जानकारी दी। उसके बाद विश्वविद्यालय थाने में शिकायत दर्ज कराई गई। विश्वविद्यालय थाना पुलिस ने 2 अज्ञात बदमाशों के खिलाफ लूट डकैती का केस दर्ज कर जांच शुरू की। कलेक्टर की पत्नी के गले से चेन लूट की इस घटना के बाद ग्वालियर से लेकर भोपाल तक हड़कंप मच गया। 

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पुलिस ने बदमाशों की तलाश में इलाके में नाकाबंदी की। बड़े स्तर पर सर्चिंग ऑपरेशन शुरू किया गया। बदमाशों की तलाश में विश्वविद्यालय थाने की एक टीम और क्राइम ब्रांच की एक टीम सहित कुल तीन टीमें लगी हैं। शहर के सारे सीसीटीवी फुटेज भी खंगाली जा रही है, लेकिन, 36 घंटे से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी बदमाशों को पकड़ा नहीं जा सका है 

लूट की जगह भी शहर का सबसे वीआईपी और सुरक्षित माना जाता है। कलेक्ट्रेट विंडसर रोड शहर का खास इलाका है। बावजूद लुटेरे यहां से चेन छीन ले गए। चूंकि, पीड़िता कलेक्टर की पत्नी है, ऐसे में कई दर्जन पुलिसकर्मी तलाशी में जुटे हुए हैं। तीन टीमें जांच कर रही है, लेकिन लुटेरों का पता नहीं चल सका है। ऐसे में अब कानून व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। मसलन यदि आम लोगों के साथ यह घटना होती तो क्या होता? प्रदेश में जब कलेक्टर जैसे पदों पर बैठे लोगों के परिवार सुरक्षित नहीं हैं तो आम लोगों की कौन सुध लेने वाला है।