MP By Election: सांवेर के शिवसेना उम्मीदवार जगमोहन वर्मा बीजेपी में लौटे, सिलावट के विरोध में छोड़ी थी पार्टी

Sanwer By Election: जगमोहन वर्मा ने तुलसी सिलावट के विरोध में छोड़ी थी पार्टी, शिवसेना प्रत्याशी के तौर पर कर चुके थे नामांकन, घर वापसी के बाद बोले बीजेपी मेरे लिए मां समान

Updated: Oct 18, 2020, 10:05 PM IST

Photo Courtesy: Whilenews
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इंदौर। सांवेर विधानसभा सीट पर पार्टी से नाराज़ होकर शिवसेना के टिकट पर नामंकन भरने वाले बीजेपी नेता जगमोहन वर्मा बीजेपी में वापस आ गए हैं। रविवार को विधायक आकाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला द्वारा काफी मान मनौवल करने के बाद जगमोहन वर्मा बीजेपी में वापस होने के लिए तैयार हो गए हैं। सांवेर सीट से बीजेपी के प्रत्याशी तुलसी सिलावट के लिए ये राहत देने वाली खबर है। जगमोहन वर्मा ने कांग्रेस से पाला बदलकर बीजेपी में आए सिलावट को उम्मीदवार बनाए जाने के विरोध में ही पार्टी छोड़ दी थी। माना जा रहा था कि अगर वे चुनाव मैदान में बने रहते तो सिलावट के लिए चुनाव की राह और भी मुश्किल हो जाती। 

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पहले पैर दबाया, वापसी पर कंधा दबाया 
आकाश विजयवर्गीय, बीजेपी नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे और बीजेपी प्रवक्ता उमेश शर्मा जगमोहन वर्मा को मनाने पहले भी पहुंचे थे। लेकिन तब जगमोहन वर्मा नहीं माने। उमेश शर्मा ने पैर पकड़ कर जगमोहन वर्मा को बीजेपी में वापस आने के लिए मनाया था। अब जबकि जगमोहन वर्मा ने बीजेपी का दुपट्टा एक बार फिर धारण किया, तब उमेश शर्मा उनका कंधा दबाते नज़र आए। इससे पहले जगमोहन वर्मा ने शिवसेना से नामांकन दाखिल करने के साथ प्रचार भी शुरू कर दिया था।  

बीजेपी मेरी मां है 
पार्टी में वापसी करते हुए जगमोहन वर्मा ने कहा कि 'बीजेपी मेरी मां है। मां से थोड़ी नाराज़गी थी, लेकिन अब वो नाराज़गी ख़त्म हो गई है।' वर्मा ने कहा कि 'बच्चे मां से नाराज़ भी होते हैं, लेकिन उनके साये में ही जीवन व्यतीत करते हैं। मैंने पार्टी को जीवन के 40 साल दिए हैं। और आगे भी दूंगा। बीजेपी प्रत्याशी को चुनाव में जीत दिलाने की पुरज़ोर कोशिश करूँगा।' 

बता दें कि जगमोहन वर्मा बीजेपी के कद्दावर नेता प्रकाश सोनकर के करीबी माने जाते हैं। सांवेर सीट से इस बार तुलसीराम सिलावट बीजेपी से मैदान में उतर रहे हैं। जिसका बीजेपी का अंदरूनी खेमा विरोध कर रहा है। इसी क्रम में जगमोहन वर्मा पार्टी से नाराज़ होकर शिवसेना में चले गए थे। लेकिन अब उनकी वापसी से सिलावट की मुश्किल ख़त्म तो नहीं हुई है लेकिन कम ज़रूर हो गई है। उपचुनाव में तुलसी सिलावट को प्रेम चंद गुड्डू का सामना करना है।

हालांकि बीजेपी नेताओं द्वारा सिलावट का विरोध पहली बार नहीं हो रहा है। इसके पहले पूर्व सांसद और बीजेपी नेता प्रेमचंद गुड्डू भी सिलावट के आने के बाद पार्टी से किनारा करते हुए कांग्रेस में आ चुके हैं। कांग्रेस ने गुड्डू को ही सांवेर से अपना प्रत्याशी भी बनाया है। बीते दिनों बीजेपी में उपजे इस असंतोष और बागी सुरों को रोकने के लिए सीएम शिवराज ने इंदौर में अपने कार्यकर्ताओं से यहां तक कह दिया था कि सिलावट भाई नहीं होते तो बीजेपी की सरकार नहीं बन पाती। इसलिए हमें इनका सम्मान करना होगा और इन्हें जीत दिलाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा।