सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जोशीमठ भू धंसाव का मामला, शंकराचार्य ने दायर की जनहित याचिका

उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। यहां करीब 603 घरों में दरारें आ चुकी हैं। ये घर कभी भी गिर सकते हैं।

Updated: Jan 08, 2023, 05:16 AM IST

जोशीमठ। उत्तराखंड के प्राचीन शहर जोशीमठ और आसपास के क्षेत्र में भू-धंसाव का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस संबंध में ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है।

अधिवक्ता परमेश्वर नाथ मिश्र ने याचिका में कहा है कि भू धंसाव की जद में ढाई हजार साल से भी ज्यादा प्राचीन मठ भी आ गया है। पूरा क्षेत्र इससे दहशत में है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट इसके लिए त्वरित उपाय क्रियान्वित करने का आदेश जारी करे। सरकार को आदेश दे कि फौरन कार्रवाई की जाये।

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जोशीमठ संकट पर चमोली के ज़िलाधिकारी हिमांशु खुराना ने बताया कि कुल 603 भवनों में दरार है, ये दरार क्यों आ रही है, इसका पता लगाया जा रहा है। विशेषज्ञों की टीम लगातार जोशीमठ में जांच कर रही ह 603 मकानों में जो दरार आई है, उसको हमने 3 ज़ोन में बांटा है। कोर जोन में लगभग 60 परिवार हैं,7 जिसमें से 45 परिवार को शिफ्ट कर दिया गया है, शेष लोगों को आज शिफ़्ट कर दिया जाएगा। लोगों को सावधान रहने की जरूरत है।

जोशीमठ को बद्रीनाथ का प्रवेश द्वार भी कहते हैं। जोशीमठ को ज्योतिर्मठ के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर आदि गुरु शंकराचार्य को आत्मज्योति का दर्शन हुआ था। आज वही जोशीमठ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। बदरीनाथ धाम से महज 50 किलोमीटर दूर जोशीमठ में सड़कें फट रही हैं. बिना सोचे-समझे निर्माण और कुदरत से खिलवाड़ का खामियाजा ये शहर भुगत रहा है।

जोशीमठ का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है,जिसकी वजह से जमीन धंस रही है। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, वहां के घरों, होटलों और सड़कों पर खतरनाक दरारें पड़ रही हैं। धंसने की वजह से कई जगहों पर जमीन से पानी निकल रहा है। इसकी वजह से लोगों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित जगहों पर जाना पड़ रहा है।