कटनी कलेक्टर का अजीबोगरीब कारनामा, 300 रुपए में तीन गांवों का रास्ता ठेकदार को दिया

कटनी के बरही तहसील में कलेक्टर ने तीन गांवों को जोड़ने वाली सड़क ठेकेदार को लीज पर दे दी थी जिससे रास्ता बंद हो गया। ग्रामीणों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने कलेक्टर और ठेकेदार को नोटिस जारी करते हुए सड़क खोलने के निर्देश दिए हैं।

Updated: Nov 11, 2025, 12:59 PM IST

Photo Courtesy: AI Generated
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कटनी। मध्य प्रदेश के कटनी जिले के बरही तहसील में ग्रामीणों के लिए जीवन रेखा मानी जाने वाली एक सड़क को कलेक्टर द्वारा ठेकेदार को लीज पर दिए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। ग्रामीणों की जनहित याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि सार्वजनिक सड़क को किसी निजी कंपनी या व्यक्ति को सौंपना कानून का उल्लंघन है। कोर्ट ने राज्य सरकार, कटनी कलेक्टर और ठेकेदार तिलकराज ग्रोवर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था।

कोर्ट के निर्देश पर 10 नवंबर को कलेक्टर और ठेकेदार व्यक्तिगत रूप से पेश हुए थे। वहीं, राज्य सरकार की ओर से भी जवाब पेश किया गया। सुनवाई के दौरान अदालत ने साफ कहा कि बंद सड़क को तुरंत खोला जाए और भविष्य में इसे बंद नहीं किया जाए। इसके बाद संबंधित मार्ग को खोल दिया गया है।

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यह मामला बरही तहसील के करौंदी खुर्द, कन्नौर और बिचपुरा गांवों से जुड़ा है। इन तीनों गांवों तक पहुंचने के लिए यह एकमात्र सड़क है जिसका उपयोग ग्रामीण कई वर्षों से करते आ रहे हैं। राजस्व रिकॉर्ड में भी यह रास्ता सार्वजनिक मार्ग के रूप में दर्ज है। हालांकि, 1 जुलाई 2025 को खनिज विभाग की रिपोर्ट के आधार पर कटनी कलेक्टर ने ग्राम कन्नौर स्थित खसरा नंबर 861 की लगभग 65 हेक्टेयर भूमि ठेकेदार तिलकराज ग्रोवर को सिर्फ 300 रुपए वार्षिक किराए पर लीज पर दे दी थी। इस जमीन का इस्तेमाल खनन के बाद गिट्टी और अन्य सामग्री डंप करने के लिए किया जा रहा था जिससे ग्रामीणों की आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई।

सड़क बंद होने से नाराज ग्रामीणों ने पहले कलेक्टर से लिखित निवेदन किया था। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद मजबूर होकर कटनी निवासी संदीप जायसवाल ने 16 सितंबर को जनहित याचिका (PIL) दायर की थी। 27 सितंबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने याचिकाकर्ता से सड़क बंद होने के फोटोज मांगे थे। वहीं, 13 अक्टूबर को अगली सुनवाई में कोर्ट ने तस्वीरों का संज्ञान लेते हुए प्रशासन को तुरंत सड़क खोलने का आदेश दिया। लेकिन इस आदेश के बावजूद सड़क नहीं खुली जिसके बाद 4 नवंबर को अवमानना याचिका दाखिल की गई।

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सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता अर्पण जे. पवार, अक्षत अरजरिया और चिरंजीवी शर्मा ने तर्क दिया कि जिला प्रशासन ने राजनीतिक दबाव में आकर सड़क को किराए पर दे दिया जिससे सैकड़ों ग्रामीणों की रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो गई। मुख्य न्यायाधीश संजय सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने कहा मामले पर कहा,“अगर कोर्ट के आदेशों की अवहेलना हुई है तो यह गंभीर अवमानना का मामला होगा।” 

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जनता की सुविधा के लिए बनी सड़क किसी निजी हित में इस्तेमाल नहीं की जा सकती। कोर्ट ने निर्देश दिया कि यदि प्रशासनिक अधिकारियों का जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, फिलहाल ग्रामीणों को राहत मिली है क्योंकि डंपिंग गतिविधियां रोक दी गई हैं और सड़क को आम आवागमन के लिए खोल दिया गया है।

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