हांफ रहा हेल्‍थ सिस्‍टम : साधनों की कमी, टूट रही ‘भगवान’ की सांसें

संसाधनों की कमी के कारण मप्र का हेल्थ सिस्टम कोरोना से मुकाबले में 'हांफ' रहा है। डॉक्टर-नर्स, स्वास्‍थ्‍यकर्मी कोरोना वारियर्स बन कर संक्रमण से मुकाबला कर रहे हैं मगर उपयुक्त मास्क, सुरक्षा उपकरणों के अभाव में जान बचा कर भगवान कहलाने वाले डॉक्टरों की जान ही संकट में पड़ गई है।

Publish: Apr 13, 2020, 02:18 AM IST

सुरक्षा किट की कमी को देखते हुए बैतूल में बंदियों से  किट बनाई गई।
सुरक्षा किट की कमी को देखते हुए बैतूल में बंदियों से किट बनाई गई।

भोपाल। मप्र में कोरोना तेजी से फैल रहा है। इंदौर में कोरोना संक्रमण के कारण देश की सबसे ज्‍यादा 11 फीसदी मौत हुई है। यह औसत राष्‍ट्रीय औसत ये 3 गुना है। मगर चिंता की बात इतनी ही नहीं है। फिक्र की बात यह है कि यहां देश में पहली बार संक्रमण का इलाज कर रहे दो डॉक्‍टरों की मृत्‍यु हुई है। रविवार को संक्रमितों के इलाज के दौरान सं‍क्रमित हुई नर्सिंग की अंतिम वर्ष की छात्रा की सांसें भी थम गईं। भोपाल में कोरोना कंट्रोल रूम में पदस्‍थ डॉक्‍टर संक्रमित हैं। दो दर्जन से अधिक स्‍वास्‍थ्‍यकर्मी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। पूरा हेल्‍थ सिस्‍टम संक्रमण का जोखिम झेल रहा है क्‍योंकि उनके पास सही मास्‍क, उचित सुरक्षा साधन नहीं हैं। साधनों के अभाव में ग्‍वालियर में 25 संविदा डॉक्‍टरों से त्‍यागपत्र दे दिए हैं। हमारे डॉक्टर ‘कोरोना वॉरियर्स’ बनकर पूरी ताकत झोंके हुए हैं मगर दूसरी तरफ संसाधनोंकीकमी के कारण अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कोरोना से लड़ने में हांफ रहे हमारे हेल्‍थ सिस्‍टम की पड़ताल करती यह रिपोर्ट :

संक्रमितों का इलाज करते हुए खुद की जान गईं

रीवा के खरहरी गांव निवासी श्रेया उर्फ कृपा तिवारी इन्दौर में नर्सिंग अंतिम वर्ष की छात्रा थी। अस्पताल में कोरोना मरीजों की देखभाल करते हुए वह भी कोरोना संक्रमित हो गई। इंदौर में ही इलाज के दौरान उसका निधन हो गया। श्रेया के पिता रीवा में पुलिस विभाग में पदस्‍थ हैं। कृपा के अंतिम दर्शन सिर्फ उनके चाचा को दूर से ही कराकर पुलिस द्वारा अन्तिम संस्कार किया गया। सेमरिया के भाजपा विधायक केपी त्रिपाठी ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी है।

 

राजधानी से 75 किमी दूर भी वेंटीलेटर नहीं

राजधानी से महज 75 किलोमीटर दूर होशंगाबाद जिले को जर्जर स्‍वास्‍थ्‍य तंत्र का एक उदाहरण माना जा सकता है। होशंगाबाद का पहला कोरोना संक्रमित केस इटारसी के एक डॉक्‍टर थे जो किसी विदेशी का इलाज करने के दौरान संक्रमित हुए थे। व्‍यक्ति मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि होशंगबाद जिले में जहां कोरोना वायरस से लड़ने इलाज किया जा रहा है वहां भी वेंटिलेटर नहीं है। संभाग मुख्‍यालय होने के बाद भी जिला अस्‍पताल में एक भी वेंटीलेटर-आईसीयू यूनिट नहीं है। यही कारण है कि इटारसी के उस कोरोना संक्रमितों को सीधे भोपाल रेफर किया गया है। बैतूल जिले के भैंसदेही में कोरोना संक्रमित का उपचार चल रहा है मगर वहां भी वेंटीलेटर नहीं है। बिना वेंटीलेटर कैसा उपचार हो रहा होगा समझा जा सकता है। सीएमएचओ सुधीर जैसानी मीडिया से चर्चा में स्‍वीकार करते हैं कि जिला अस्पताल के आईसोलेशन वार्ड में वेंटीलेटर-आईसीयू नहीं है इसलिए संभागीय मुख्यालय होने के बावजूद कोरोना पॉजिटिव मरीज को भोपाल रैफर करना पड़ रहा है।

भिंड : क्‍लीनिक बंद, अस्‍पताल रिजर्व, कहां जाएं रोगी

भिंड में कोरोना संक्रमण के इलाज की तैयारियों के चलते सरकारी अस्पतालों में ओपीडी बंद कर दी गई है। इससे सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं और अन्‍य रोगियों को हो रही है। जिला अस्पताल के साथ महिला डॉक्टर्स के निजी क्लीनिक भी बंद होने के चलते समस्‍या और बढ़ गई है। गर्भवती महिलाओं को नियमित चेकअप कराने के लिए डॉक्टर्स नहीं मिल रही हैं। जिला अस्पताल के प्रसूति विभाग में भी इन दिनों सन्नाटा पसरा हुआ है। जिला अस्पताल के प्रसूति विभाग में 7 महिला चिकित्सक पदस्थ, दो अल्ट्रासाउंड मशीन फिर भी एक महीने से जांच नहीं हो रही है। मीडिया रिपोर्ट बताती है कि अतरसूमा निवासी सिबी निवासी रिंकू राजावत इन दिनों गर्भवती है। वे पिछले तीन दिनों से जिला अस्पताल और शहर के प्रायवेट क्लीनिकों अल्ट्रासाउंड कराने के लिए भटक रही हैं। लेकिन उनका अल्ट्रासाउंड नहीं हो पा रहा है। प्रायवेट के साथ जिला अस्पताल में भी अल्ट्रासाउंड सुविधा बंद होने से उनकी मुसीबत बढ़ गई है। वे समझ नहीं पा रहे अब क्या करें।

राजगढ़ : 15 संक्रमित, एक डॉक्‍टर उसे भी इंदौर भेजा

राजगढ़ जिले की स्थिति भी बहुत बुरी है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि जिला चिकित्सालय के आइसोलेशन वार्ड के प्रभारी और एकमात्र एमडी मेडिसिन डॉ. सुधीर कलावत की देखरेख में 15 कोरोना संदिग्ध मरीजों का इलाज चल रहा है। जिले में कोरोना के नए संदिग्धों का मिलना भी जारी है। इसके बावजूद शासन ने डॉ. कलावत को तत्काल प्रभाव से इंदौर भेजने के निर्देश जारी किए हैं। ऐसे हालात में जिले की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है क्योंकि जिला अस्पताल में डॉक्टरों के 70 पद लंबे समय से खाली पड़े हुए हैं। पैरामेडिकल स्टॉफ का भी अभाव है। वर्तमान में डॉ कलावत डायलिसिस के भी प्रभारी हैं। कार्डियक आईसीयू का भी प्रभार है, जिसमें अभी हार्ट अटैक के दो मरीज भी भर्ती हैं।

शिवराज जी,ट्रांफ़सर पोस्टिंग बाद में कर लेना

इंदौर की समस्या पर ट्वीट करते हुए कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा है कि शिवराज जी, इंदौर के हालात दिन प्रति दिन भयावह बनते जा रहे है, आपसे आग्रह है कि आप अपने नेताओं की मान मन्नवल - ट्रांफ़सर पोस्टिंग बाद में कर लेना अभी इन हालातों पर काबू पाने के लिए इंदौर पहुंचे और स्थिति पर काबू पाने के लिए ठोस निर्णय लीजिए..।