निजी स्कूल में पेरेंट्स ने किया प्रदर्शन, पहली से पांचवी तक ऑनलाइन क्लासें जारी रखने की मांग

बिना टीकाकरण बच्चों को स्कूल भेजने के खिलाफ हैं पेरेंट्स, कहा स्कूल आने की स्थिति में बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लें स्कूल प्रबंधन, कई स्कूल बच्चों को स्कूल आने के लिए डाल रहे हैं दबाव

Publish: Nov 25, 2021, 08:32 AM IST

Photo courtesy: Patrika
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भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने कोरोना की वजह से लगाई गई सारी बंदिशें हटाते हुए पूरी क्षमता के साथ स्कूल खोल दिए हैं। अब राज्य के सभी सरकारी और निजी स्कूल पूरी क्षमता के साथ खुल गए हैं। पहली क्लास से लेकर पांचवी तक के स्कूलों में 100 प्रतिशत बच्चों को बुलाया जा रहा है। स्कूल आने के लिए पेरेंट्स की सहमति जरूरी है। लेकिन भोपाल के कई स्कूलों के कई पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते है। उनका कहना है कि कोरोना का थर्ड वेव की आशंका के बीच बच्चों को कैसे स्कूल भेजा जाए। बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर ऑनलाइन क्लासेस लगाते रहने की मांग की है।

भोपाल के एक जाने माने मिशनरी स्कूल ने ऑफलाइन क्लास में बच्चों की उपस्थिति अनिवार्य कर दी। जिसके खिलाफ पेरेंट्स ने स्कूल में विरोध प्रदर्शन किया। गुरुवार को बड़ी संख्या में पेरेंट्स स्कूल पहुंचे। प्रिंसिपल के सामने पक्ष रखा और ज्ञापन सौंपा,  स्कूल प्रबंधन ने कोई फैसला लेने के लिए दिन का वक्त मांगा है।

निजी स्कूल में केजी से लेकर 5वीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों के पेरेंट्स पहुंचे थे। वे स्कूल से ऑनलाइन क्लास को अनिवार्य रूप से जारी रखने की मांग कर रहे थे। इस मामले में पेरेंट्स एसोसिएशन जाग्रत पालक संघ का आरोप है कि सरकार ने स्कूल खोलने की जो परमीशन दी है उसके निर्देश स्पष्ट नहीं हैं। पालक संघ का कहना है कि मध्यप्रदेश सरकार ने जल्दबाजी में पेरेंट्स की अनुमति जरूरी रखी है, वहीं दूसरी तरफ स्कूल को फीस लेने और स्कूल खोलने को लेकर सभी अधिकार दे दिए हैं। अगर स्कूल को ही सारे फैसले लेने है तो माता-पिता की परमीशन का कोई मतलब नहीं रह जाता है।

एक साथ सभी स्कूलों के खुलने के साथ ही बच्चों की सुरक्षा को लेकर माता-पिता में चिंता है। उनका आरोप है कि स्कूलों ने बच्चों की सुरक्षा से पल्ला झाड़ते हुए सारी जिम्मेदारी पेरेंट्स पर डाल दी है।

पेरेंट्स की मांग है कि स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा का जिम्मा स्कूल प्रबंधन ले। वहीं कोरोना की थर्ड वेव की आशंका के बीच ऑनलाइन क्लासेस चालू रखी जाएं। उनका कहना है कि इस सेशन का केवल 2 महीने बाकी बचा है। अब तक बच्चों की ऑनलाइन क्लास से पढ़ाई हो रही थी। वहीं तमिलनाड़ू, केरल, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में स्कूली बच्चों में कोरोना संक्रमण ने पेरेंट्स की चिंता बढ़ा दी है। वे बिना वैक्सीनेशन के बच्चों को स्कूल भेजना नहीं चाहते हैं।