अपने ही चक्रव्यूह में फंस गए रणनीतिकार, कमलनाथ का गृहमंत्री अमित शाह पर हमला
शाह के नेतृत्व में भाजपा का डैमेज कंट्रोल, कमलनाथ का तंज- अपने ही चक्रव्यूह में फंसे भाजपा के रणनीतिकार, जबलपुर की बगावत का जिक्र कर लिखा- दिल्ली दरबार के चलते पूरे प्रदेश के भाजपा नेताओं में गुस्सा

भोपाल। मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, सियासी गहमागहमी बढ़ती जा रही है। प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज नेता रैली और जनसभा के जरिए प्रत्याशियों के लिए वोट मांग रहे हैं। इस बीच भाजपा के रणनीतिकार कहे जाने वाले अमित शाह की कोशिशों पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि जबलपुर में अमित शाह संगठन और रणनीति की बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे, लेकिन वहीं के महानगर अध्यक्ष ने अपमान के कारण पार्टी छोड़ दी।
दरअसल, टिकट वितरण के बाद मध्य प्रदेश बीजेपी में इस कदर बगावती तेवर संभवतः पहली बार देखने को मिल रही है। बगावत ऐसी कि आनन फानन में गृहमंत्री शाह को मध्य प्रदेश के तीन दिन के दौरे पर आना पड़ा। बागी नेताओं से कई घंटे चर्चा हुई, रूठों को मनाने की कवायद तेज़ हुई। शाह ने बागियों से चर्चा की, बावजूद जबलपुर के महानगर अध्यक्ष ने गुस्से में इस्तीफा दे दिया। आरोप लगाया कि जिन लोगों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी थी, उनसे चर्चा की जा रही है। उन्होंने खुद के अपमान का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
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इसी घटना को लेकर पूर्व सीएम कमलनाथ ने सवाल खड़े करते हुए लिखा कि भाजपा के रणनीतिकार अपने ही चक्रव्यूह में फंस गए हैं। भाजपा के दिल्ली दरबार और दरी बिछाने वाले कार्यकर्ताओं में जंग छिड़ी है। यह हाल अकेले जबलपुर का नहीं है, पूरे मध्य प्रदेश में भाजपा में इस बात पर रोष है कि प्रदेश में क्या सारे नेता अक्षम हो गए हैं जो दिल्ली उनके ऊपर थोपी जा रही है। मध्य प्रदेश में भाजपा अब सिर्फ भाषणों और विज्ञापनों में बची है, वह चुनाव लड़ने की रणनीति पर नहीं, बल्कि आपसी रण की नीति पर चल पड़ी है।
भाजपा के रणनीतिकार अपने ही चक्रव्यूह में फंस गए हैं। भाजपा के दिल्ली दरबार और दरी बिछाने वाले कार्यकर्ताओं में जंग छिड़ी है। यही वजह है कि जबलपुर में एक तरफ भाजपा नेता अमित शाह बड़ी-बड़ी रणनीति और संगठन की बातें करते रहे तो दूसरी तरफ वहीं के भाजपा महानगर अध्यक्ष ने पार्टी में…
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) October 30, 2023
एक ओर अमित शाह बागी नेताओं को मनाने की कोशिशों में जुटे थे, दूसरी तरफ मुरैना के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के भी बागी तेवर सामने आए। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के सामने भाजपा आलाकमान को चेताया। वीडियो वायरल हुई जिसमें वो कहते दिख रहे हैं कि हमारी लड़ाई आप से नहीं है, हम भाजपा को बताना चाहते हैं कि हम कहां हैं और वो कहां।
प्रदेश में अमित शाह रैली और जनसभा कर रहे थे इस बीच रीवा के मनगंवा से वर्तमान विधायक पंचूलाल प्रजापति ने बगावती तेवर अख्तियार करते हुए अपनी पत्नी का नामांकन दाखिल करवाया। उन्होंने एक दिन पहले पत्रकारों के सामने रोते हुए आरोप लगाया था कि पार्टी ने पैसे लेकर टिकट बेचे हैं। इससे पहले टिकट वितरण में भी डैमेज कंट्रोल की कोशिशें पूरी की गईं थीं। 2018 में बगावत करने वाले 2 नेताओं को पहले ही टिकट दे दिया गया। भिंड विधानसभा सीट से नरेंद्र सिंह कुशवाहा को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है। वहीं, मेहगांव विधानसभा सीट से राकेश शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतारा है। कुल मिलाकर भाजपा ने बगावती नेताओं को साधने की कोशिश की है, क्योंकि बीजेपी को डर था कि अगर इन नेताओं का टिकट काट दिया जाता तो यह फिर से पार्टी से बगावत कर देते।
उधर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन और पूर्व विधायक रहीं रंजना बघेल भी बगावती तेवर अपनाए हुए हैं। उन्होंने भाजपा से टिकट ना मिलने पर निर्दलीय लड़ने का फैसला किया। हालांकि आज भी रंजना बघेल और हर्षवर्धन से चर्चा कर उन्हें मनाने की कवायदें जारी हैं।