उज्जैन में ओवरलोड बस की ट्रक से टक्कर, दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल

मध्य प्रदेश की सड़कों पर अब भी दौड़ रही हैं ओवरलोडेड बसें, सीधी हादसे के बाद सख़्त क़दम उठाने के सरकारी दावों का क्या हुआ

Updated: Feb 22, 2021, 01:12 PM IST

Photo Courtesy: Bhaskar
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उज्जैन। सीधी बस हादसे में 53 लोगों की मौत के महज हफ्ताभर बाद एक और ओवर लोडेड बस दुर्घटना का शिकार हो गई। उज्जैन के भैरवगढ़ थाना इलाके में एक ओवर लोडेड बस और ट्रक में आमने सामने टक्कर हो गई। चंदूखेड़ी सोया प्लांट के पास हुए इस एक्सिडेंट में 24 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। बस और ट्रक के ड्राइवर गंभीर रुप से घायल हैं। दोनों के हाथ और पैर में फ्रैक्चर हुआ है।

यह यात्री बस धार के बदनावर से उज्जैन आ रही थी। निजी बस संचालक बीके यादव ट्रैवल्स की इस बस में क्षमता से अधिक सवारियों को बैठाया गया था। टक्कर इतनी जोरदार थी कि बस का सामने का हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। चारों तरफ कांच ही कांच फैल गया। यात्रियों में अफरा तफरी मच गई, लोग चीखते-चिल्लाते नजर आए। वहां मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों की मदद से पुलिस और एंबुलेंस को बुलाया गया। और सभी घायलों को उज्जैन जिला अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया गया है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार बस 32 सीटर थी, जिसमें क्षमता से अधिक यात्रियों को बैठाया गया था।

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आपको बता दें कि 16 फरवरी को सीधी जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर पटना गांव के पास एक बस नहर में गिर गई थी। बस में क्षमता से अधिक 61 लोग सवार थे। जिनमें से 53 की मौत हो गई थी, 7 लोग किसी तरह अपनी जान बचाने में कामयाब हो गए थे। मरने वालों में बड़ी तादाद ऐसे युवाओं की थी, जो प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेने सतना जा रहे थे। इसी दौरान क्षमता से अधिक सवारियां लेकर जा रही बस बाणसागर बांध की नहर में जा गिरी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने सख्ती दिखाते हुए हादसे के 4 आऱोपी अफसरों को निलंबित कर दिया था। सीएम ने सीधी के RTO, MPRDC के मैनेजर, AGM निलंबित करते हुए हादसे की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए थे।

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घटना के बाद प्रशासन ने सभी जिलों में सख्ती के दावे किए। परिवहन मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत ने भोपाल-होशंगाबाद और भोपाल-रायसेन रोड पर 2 दर्जन बसों का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान 6 बसों के फिटनेस प्रमाण-पत्र निरस्त किए गए। आरटीओ रुल्स का उल्लंघन करने वाली दर्जनभर बसों की जब्ती भी हुई।

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लेकिन उज्जैन में एक बार फिर ओवरलोडेड बस के हादसे का शिकार होने से साफ है कि इन उपायों का वैसा असर नहीं हुआ है, जो होना चाहिए। बसों में अब भी क्षमता से अधिक सवारियां लादी जा रही हैं। बड़ा सवाल यह है कि कड़े कदम उठाने के सरकारी दावों और हादसे के फौरन बाद की गई कार्रवाइयों के बावजूद बस संचालकों को नियम तोड़ते समय कानून का भय क्यों नहीं होता? आखिर किनकी शह पर ऐसी बसें अब भी चल रही हैं, जो लोगों की जान के लिए खतरा बनी रहती हैं?