लाइब्रेरी में मिली किताब के लिए प्रिंसिपल को गिरफ्तार क्यों करना, सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार पर मंशा पर हैरानी जताते हुए कहा कि आपके पास करने के लिए और भी गंभीर चीजें हैं। एक किताब के लिए आप प्रिंसिपल को क्यों गिरफ्तार करना चाहते हैं?

Updated: Jan 17, 2023, 06:43 AM IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इंदौर के न्यू लॉ कॉलेज की लाइब्रेरी में कथित "हिंदूफोबिक" पुस्तक के मामले में मध्य प्रदेश पुलिस को फटकारा है। पुलिस ने इस मामले में कॉलेज के प्रिंसिपल रहे डॉ. इनामुर रहमान के खिलाफ केस दर्ज किया है। हाईकोर्ट ने रहमान को इस मामले में अग्रिम जमानत दे दी थी, जिसे मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही थी।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने डॉ. इनामुर रहमान की गिरफ्तारी पर 16 दिसंबर को रोक लगाई थी। इसके बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 22 दिसंबर को इस मामले में उन्हें अग्रिम जमानत दे दी थी। जब रहमान के वकील एल्जो थॉमस ने यह बात कहते हुए मामला खत्म करने की दरख्वास्त की तो मध्य प्रदेश सरकार के वकील ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि हम हाईकोर्ट की ओर से दी गई अग्रिम जमानत का विरोध करेंगे। इस पर चीफ जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बैंच ने आश्चर्य जताया। 

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आप डॉ इनामुर रहमान को क्यों गिरफ्तार करना चाहते हैं? इसपर राज्य सरकार के वकील ने कहा कि राज्य सरकार को ऐसा करने का कानूनी हक है और वे इसपर विचार भी कर रहे हैं। इसपर चीफ जस्टिस ने राज्य सरकार के वकील से कहा कि, 'क्या आप सीरियस हैं? आपके पास और भी सीरियस काम होने चाहिए। वह कॉलेज प्रिंसिपल हैं। आप उन्हें क्यों गिरफ्तार करना चाहते हैं? उनके कॉलेज की लाइब्रेरी में विवादित किताब मिली है, जिसमें कुछ सांप्रदायिक बातें लिखी हैं। इस वजह से क्या उनकी गिरफ्तारी जरूरी है? किताब 2014 में खरीदी गई है और आप उन्हें गिरफ्तार करना चाहते हैं? क्या आप सीरियस हैं?'

चीफ जस्टिस की टिप्पणी पर जवाब देते हुए राज्य सरकार के वकील ने कहा कि छात्रों ने शिकायत की है वह (प्रिंसिपल) इस किताब से पढ़ा रहे थे, जबकि उनका कहना है कि उन्हें इस किताब के होने की जानकारी नहीं है। यह विरोधाभास पैदा कर रहा है। राज्य सरकार के वकील के जवाब में चीफ जस्टिस ने कहा कि आप आदेश को चैलेंज करना चाहते हैं? करिए... हम इससे निपट लेंगे।

याचिकाकर्ता ने अपने बचाव में तर्क दिया कि किताब 2014 में छपी थी और कॉलेज द्वारा 2014 में ही खरीदी गई थी उस समय वह कॉलेज में केवल प्रोफेसर थे, कॉलेज के प्रिंसिपल नहीं। उन्होंने कहा कि मामला राजनीतिक कारणों से दर्ज कराया गया था। मैं पुस्तक के प्रकाशन या वितरण में शामिल नहीं था। मुझे इस मामले में अनावश्यक रूप से घसीटा गया है। 

बता दें कि एबीवीपी के विरोध के बाद ड़ा. इनामुर रहमान ने इस्तीफा दे दिया था। इस मामले को लेकर करीब एक महीने पहले खूब बवाल मचा था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और विद्यार्थियों के प्रदर्शन के बाद लेखक, प्रकाशक के साथ-साथ कॉलेज के प्रिंसिपल के खिलाफ भी गैर-जमानती धाराओं में एफआईआर हुई थी। 

यह विवाद 'कलेक्टिव वॉयलेंस एंड क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम' नामक पुस्तक को लेकर हुआ था। इसे कॉलेज में पढ़ाने वाली प्रोफेसर डॉ. फरहत खान ने लिखा है, जो इस किताब को लेकर 2021 में माफीनामा जारी कर चुकी हैं। उन्होंने उस किताब में जरूरी बदलाव भी कराए थे। हालांकि, लाइब्रेरी में पुरानी किताब होने की बात सामने आई थी।