कोरोना मृतकों के परिजनों को 50 हज़ार का मुआवज़ा देगा केंद्र, सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा किया दाखिल

कोरोना मृतकों के परिजनों को यह राशि राज्यों के आपदा प्रबंधन कोष से दी जाएगी, सुप्रीम कोर्ट से फटकार सुनने के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने मुआवज़ा कोरोना मृतकों के लिए मुआवज़ा राशि तय कर दी

Updated: Sep 22, 2021, 01:51 PM IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट से मिली फटकार के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को मुआवज़ा देने का मन बना लिया। केंद्र सरकार ने मुआवज़ा राशि को लेकर हलफनामा कोर्ट में दाखिल कर दिया है। केंद्र ने कोर्ट को बताया है कि कोरोना मृतकों के परिजनों को 50 हज़ार रुपए की अनुग्रह राशि दी जाएगी।  

केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को मुआवज़ा राशि के वितरण की भी जानकारी अपने हलफनामे में दी है। केंद्र ने अदालत को बताया है कि कोरोना मृतकों तक अनुग्रह राशि राज्यों के आपदा प्रबंधन कोष से दी जाएगी। केंद्र सरकार का यह हलफनामा सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद आया है। मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस एमआर शाह ने केंद्र को फटकार लगाते हुए कहा था कि जब तक आप मुआवज़ा राशि निर्धारित करेंगे, तब तक कोरोना की तीसरी लहर भी आ चुकी होगी। 

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कोर्ट में दाखिल याचिका में कोरोना मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपए की मुआवज़ा राशि देने की मांग की गई थी। इसके लिए दलील दी गई थी कि प्राकृतिक आपदा के कारण मरने वाले लोगों के परिजनों को चार लाख रुपए की राशि दी जाती है। इस पर केंद्र सरकार ने कहा था कि कोरोना से बड़ी तादाद में लोगों की मौत हुई है। इसलिए सरकार इतनी बड़ी राशि मृतकों के परिजनों को नहीं दे सकती। सुप्रीम कोर्ट ने भी मुआवज़ा राशि तय करने की छूट केंद्र सरकार को दी थी। जिसके बाद केंद्र सरकार के अधीन आने वाली नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटि ने उच्चतम न्यायालय को मुआवज़ा राशि के बारे में बता दिया है। 

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की डीवाई चंद्रचूड़ वाली बेंच के सामने बीते हफ्ते एक मामला सामने आया था, जिसमें कोरोना से मरने वाले वकीलों के परिजनों को 50 लाख रुपए मुआवज़े के तौर पर देने की मांग की गई थी। इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने यह कह कर खारिज कर दिया था कि काला कोट पहन लेने भर से किसी का जीवन अधिक कीमती नहीं हो जाता। कोर्ट ने कहा था कि कोरोना महामारी के कारण कई लोगों की जान गई। कोई वकील अपवाद नहीं हो सकता। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर दस हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगा दिया था।