बनियान पहनकर, फेस पैक लगाकर सुनवाई में शामिल हुए वकील, तंग आकर इलाहाबाद HC ने जारी किया ड्रेस कोड

कोरोना काल के दौरान वर्चुअल सुनवाई में दिखा वकीलों का अनोखा रूप, वकील साहिबा फेसपैक लगाकर शामिल हुईं, तो वकील साहब बिस्तर पर लेटे-लेते करने लगे जिरह

Updated: Jul 03, 2021, 02:48 AM IST

Photo Courtesy : LiveLaw
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इलाहाबाद। कोविड-19 महामारी की वजह से देशभर में ऑनलाइन माध्यमों से कोर्ट की कार्यवाही संपन्न हो रही है। वर्चुअल माध्यम से सुनवाई के दौरान वकीलों का अनोखा रंग भी देखने को मिला है। कोई वकील बनियान पहनकर सुनवाई में शामिल हो रहे तो वकील साहिबा फेसपैक लगाकर शामिल हो रहीं। इतना ही नहीं एक वकील साहब ने तो बिस्तर पर लेटे-लेटे जिरह की शुरुआत कर दी। वकीलों के इन हरकतों से तंग आकर इलाहाबाद हाईकोर्ट को अब ड्रेस कोड लागू करना पड़ा है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश जारी कर कहा है कि वर्चुअल माध्यम से सुनवाई के दौरान पुरुष वकीलों को सादी सफेद शर्ट पहनना अनिवार्य होगा। वहीं महिला वकीलों को सफेद सलवार कमीज अथवा सफेद साड़ी पहनना होगा। इसके साथ ही नेक बैंड भी पहनना अनिवार्य होगा। कोर्ट ने कहा है कि यदि वे काला कोट भी पहनते हैं तो यह और भी अच्छा है।

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दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी किसी मामले की सुनवाई कर रहे थे। इस दौरान एक वकील रंग-बिरंगे कपड़ा पहनकर शामिल हुए, जिस पर आपत्ति जताते हुए कोर्ट ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में लिखा कि बीते कुछ समय से इस अदालत समेत दूसरे हाईकोर्ट्स और यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में भी देखा गया कि कुछ वकील बनियान पहन, कुछ रंगीन शर्ट में, कुछ पूजा के कपड़ों में, कुछ स्कूटर चलाते हुए, कुछ चहलकदमी करते, कुछ बाजार में खड़ी कार के अंदर से, कुछ शोर शराबे वाली जगह से, कुछ फ़ोन पर बात करते हुए वर्चुअल हियरिंग में शामिल हुए।'

हाईकोर्ट ने आगे कहा कि इतना ही नहीं एक वकील साहब तो बिस्तर पर लेटे-लेटे और एक वकील साहिबा तो फेस पैक लगा कर हियरिंग में शामिल हो गयीं। कोर्ट ने आगे कहा कि कोरोना वायरस की वजह से बहुत सारे समझौते करने पड़ रहे हैं इसका मतलब ये नहीं है कि न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुंचाया जाए। जब वकील अपने आफिस, घर या अन्य स्थान से वर्चुअल सुनवाई में शामिल होते हैं तो उसे भी कोर्ट रूम का ही एक्सटेंशन माना जाएगा।

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जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने अपने आदेश में लिखा कि तमाम अदालतों ने कई बार इस तरह की हरकतों को नज़रंदाज़ किया है। हम भी नरमी दिखाते हुए रंगीन शर्ट पहन कर हियरिंग में शामिल होने वाले वकील पर जुर्माना नहीं लगा रहे हैं, लेकिन किसी भी हालत में सुनवाई के दौरान वकील साहिबान का बेढंगे कपड़े पहनना या बेढंगी अवस्था में शामिल होना अनुचित है। न्यायालय ने हाईकोर्ट की बार एसोसिएशन्स को भी सलाह दी है कि वे वकीलों को ढंग से सुनवाई में शामिल होने को कहें।