क्रोनोलॉजी समझिए: ‛ऑपरेशन कमल का हथियार बना था पेगासस, जासूसी कर कर्नाटक में गिराई गई थी कांग्रेस सरकार’
पेगासस स्पाइवेयर को लेकर अब रिपोर्ट सामने आई है कि कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिराने के पहले गठबंधन के नेताओं की जासूसी हुई थी, खबर सामने आने बाद कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देशद्रोही करार दिया है

नई दिल्ली। इजरायली स्पाइवेयर पेगासस के जरिए जासूसी कराने के मामले में एक के बाद एक कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। इस जासूसी कांड में एक सनसनीखेज खुलासा ऑपरेशन कमल को लेकर हुआ है। दावा है कि कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की साझा सरकार को गिराने के लिए गठबंधन के प्रमुख नेताओं की जासूसी की गई। इसके बाद राज्य में बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सीधे तौर पर देशद्रोह करने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी और कर्नाटक कांग्रेस के दिग्गज नेतागण सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार व मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र की मोदी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। सुरजेवाला ने कहा, 'अब ये साफ है कि बीजेपी व मोदी सरकार ने ऑपरेशन कमल के माध्यम से प्रजातंत्र का अपहरण और लोकतंत्र का चीरहरण किया है। अब तक सिर्फ कुछ लोगों के जासूसी की जानकारी सामने आई थी, लेकिन अब इसके कनेक्शन और क्रोनोलॉजी का खुलासा हो गया है।'
मोदी सरकार ने #OperationKamal के माध्यम से प्रजातंत्र का अपहरण, लोकतंत्र का चीरहरण किया है
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) July 20, 2021
मोदी सरकार ने चुने हुए जनमत की हत्या की,संविधान को पाऊँ तले रौंदा
मोदी सरकार ने #Pegasus का दुरुपयोग कर कांग्रेस-जनता दल की सांझी सरकर को कर्नाटका में गिराकर नाजायज़ BJP सरकार का गठन किया pic.twitter.com/EcDzFrJXOQ
सुरजेवाला ने कहा, 'क्रोनोलॉजी ये है की चुनी हुई सरकारों को खरीद-फरोख्त के माध्यम से गिराने के षड्यंत्र में पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया गया ताकि कर्नाटक में कांग्रेस की गठबंधन सरकार को गिराया जा सके। अबतक ये लोगों के बेडरूम में झांककर उनके बेटे, बेटी और पत्नी क्या करते हैं, क्या देखते हैं, यहां तक सीमित था। संवैधानिक और मौलिक अधिकारों के हनन तक सीमित था। पर अब ये बात इससे भी आगे बढ़ गई। मोदी सरकार ने जनमत की हत्या की है, देशद्रोह किया है, संविधान को पांव तले रौंदा है, मोदी ने कर्नाटक में पेगासस का दुरुपयोग कर कर्नाटक में नाजायज बीजेपी सरकार का गठन किया है।'
क्या ऐसे गृहमंत्री को गद्दी पर बैठने का अधिकार है?
सुरजेवाला ने आगे कहा कि, 'क्या ये सिर्फ कर्नाटक की सरकार गिराने तक सीमित था? शायद अगला सनसनी खेज खुलासा ये होगा कि इस स्पाइवेयर के माध्यम से मध्यप्रदेश की कांग्रेस की सरकार गिराई गयी, अरुणाचल, मणिपुर की सरकार गिराई गयी; कौन कौन सी सरकार गिराई गयी ये सब अब सामने आ जायेगा। क्या ऐसे गृहमंत्री को एक क्षण हेतु भी अपनी गद्दी पर बने रहने का अधिकार है?'
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कई घिनौनी साजिश देखना अभी बाकी
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि अभी और घिनौनी साजिश देखने अभी बाकी है। चौधरी ने कहा, 'जहां जासूसी तंत्र का राज है; सरकार बनाते हैं, गिराते हैं; कम से कम यह तो कह दें कि यह सरकार 'ऑफ द सर्विलांस' 'फॉर द सर्विलांस' 'बाय द सर्विलांस' है; यह तो कुछ नहीं है और कितने घिनौने काम इन्होंने किए हैं ये पता चलना अभी बाकी है। मोदी और शाह की जोड़ी मिलकर अपनी घिनौनी कारगुजारी से दुनिया के सामने एक नई मिसाल पेश कर रही हैं।'
जहां जासूसी तंत्र का राज है; सरकार बनाते हैं, गिराते हैं; कम से कम यह तो कह दें कि यह सरकार 'ऑफ द सर्विलांस' 'फॉर द सर्विलांस' 'बाय द सर्विलांस' है; यह तो कुछ नहीं है और कितने घिनौने काम इन्होंने किए हैं ये पता चलना अभी बाकी है : श्री @adhirrcinc#अबकी_बार_जासूस_सरकार
— Congress (@INCIndia) July 20, 2021
दरअसल, पेगासस रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि 2019 में कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीए गठबंधन सरकार गिराए जाने से पहले राज्य के कई प्रमुख नेताओं या उनके करीबी लोगों के फोन को टारगेट किया गया था। उनमें राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और तत्कालीन उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वर जैसे बड़े नेता शामिल थे। इसी के बाद राज्य में 14 महीनों के भीतर चुनी हुई सरकार गिराने में बीजेपी कामयाब हुई।
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इस दौरान कांग्रेस गठबंधन के 17 विधायकों ने अचानक इस्तीफा दे दिया था और विधानसभा में बहुमत परीक्षण में गठबंधन के 20 विधायक गैर मौजूद रहे थे। नतीजतन कुमारस्वामी सरकार गिर गयी। बीजेपी ने इस दौरान खरीद-फरोख्त से इनकार कर दिया था। हालांकि, बाद में ये सभी विधायक बीजेपी की टिकट पर उपचुनाव लड़े जिससे खरीद फरोख्त की बात सही साबित हुई। ऐसे में अब माना जा रहा है कि गठबंधन के नेताओं और उनके करीबियों की जासूसी कर उनकी कमजोर नब्ज पकड़ी गई, उन्हें ब्लैकमेल किया और फिर वो तख्तापलट में साथ आने को मजबूर हुए।