हर जुल्म सह लेंगे, लेकिन वतन पर आंच नहीं आने देंगे, जमीयत की बैठक में निकले मदनी के आंसू

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी हुए भावुक, बोले- वो क्या चाहते हैं ये समझ लीजिए... वो नफरत के पुजारी हैं, अगर हमने उन्हीं के लहजे में जवाब देना शुरू किया तो वो अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे

Updated: May 28, 2022, 11:08 AM IST

Photo Courtesy : Twitter
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सहारनपुर। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिला अंतर्गत देवबंद में शनिवार और रविवार को उलेमा-ए-हिंद ने दो दिवसीय जलसा का आयोजन किया है। देवबंद में देश के 25 राज्यों से करीब डेढ़ हजार अलग अलग संगठनों के प्रतिनिधि पहुंचे। इस दौरान इस्लामोफोबिया के लामबंद होने की सहमति बनी, साथ ही नफरत के खिलाफ 1 हजार जगहों पर सद्भावना संसद के आयोजन का ऐलान किया गया। 

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के आंख भर आए और उन्होंने भावुक होकर कहा कि हम मुल्क पर आंच नहीं आने देंगे। मदनी ने शेर पढ़ा, 'जो घर को कर गए खाली वो मेहमां याद आते हैं।' इसके बाद रुंधे गले से कहा कि हमलोग ऐसे मुश्किल हालात में हैं, जिसकी कल्पना नहीं कर सकते। बेइज्जत होकर खामोश हो जाना कोई मुसलमानों से सीखे। हम हर जुल्म सह लेंगे, तकलीफ बर्दाश्त कर लेंगे, लेकिन वतन पर आंच नहीं आने देंगे।'

महमूद मदनी ने आंसू पोंछते हुए कहा कि, हमें हमारे ही देश में अजनबी बना दिया गया। मुसलमानों लिए आज पैदल चलना मुश्किल दुश्वार कर दिया है। यह सब्र का इम्तहान है। वो चाहते क्या हैं? समझ लीजिए, मैं बार बार कह रहा हूं... जो नफरत के पुजारी हैं, आज वो ज्यादा नजर आ रहे हैं। अगर हमने उन्हीं के लहजे में जवाब देना शुरू किया तो वो अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे। वो मुल्क के साथ दुश्मनी कर रहे हैं।'

हम हर दर्द को सहने का फैसला लेते हैं: मदनी

मदनी ने आगे कहा कि, 'हम शांति को बढ़ावा देने और हर दर्द को सहने का फैसला लेते हैं, और ये हमारी कमजोरी नहीं बल्कि हमारी ताकत है। हमारा जिगर जानता है कि हमारी क्या मुश्किलें हैं। हां, मुश्किल झेलने के लिए ताकत–हौसला चाहिए। हमें ताकत हमारे पैगंबर से मिली है। हम हर चीज से समझौता कर सकते हैं, लेकिन अपने इमान से समझौता नहीं कर सकते। हमारा इमान हमें सिखाता है कि हमें मायूस नहीं होना है।'

कार्यक्रम के बाद मीडिया से बात करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि मुल्क के हालात और उस पर सरकारों की खामोशी अफसोसनाक है। यह स्थिति बदलनी चाहिए। साथ ही, उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद, ताजमहल और मथुरा मस्जिद विवाद पर आज रात या कल रिसोल्यूशन आएगा।

मस्जिद टूटे या बने फर्क नहीं, रिश्ते नहीं टूटने चाहिए: जमीयत

ज्ञानवापी मुद्दे के सवाल पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के नेशनल सेक्रेटरी मौलाना नियाज अहमद फारूकी ने कहा, 'हर शासकों ने गलतियां की हैं। जिसे हम भुगत रहे हैं। इन्हें सुधारने के लिए एक साथ बैठकर हल निकालना होगा। इससे बड़ा तो हमारा दिल है। जहां पर भगवान और अल्लाह विराजमान हैं। हम अपने दिलों को बांट देंगे तो इन मंदिरों-मस्जिदों का क्या होगा। अगर हमारे दिल सही रहेंगे तो हमारा मकसद धार्मिक रहेगा। ऐसा कोई विवाद न हो जिससे हमारे रिश्ते टूटें। फिर चाहे ये मंदिर और मस्जिद टूटे या बने इससे फर्क नहीं पड़ेगा।'