6 हज़ार से ज़्यादा रिक्त पदों पर भर्ती करें केंद्रीय विश्वविद्यालय, शिक्षा मंत्री ने दी अक्टूबर तक की डेडलाइन

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कुल 46 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए संवाद किया है, जिसमें उन्होंने 10 सितंबर तक रिक्त पदों के लिए विज्ञापन निकालने के निर्देश दिए हैं

Updated: Sep 04, 2021, 01:37 PM IST

Photo Courtesy : Indian Express
Photo Courtesy : Indian Express

नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने देश भर के 46 केंद्रीय विश्वविद्यालयों को रिक्त पदों पर जल्द से जल्द भर्ती करने के निर्देश दिए हैं। शिक्षा मंत्री के इस निर्देश के बाद जल्द ही बंपर वैकेंसी निकलने की उम्मीद है। क्योंकि इन विश्वविद्यालयों में इस समय 6 हज़ार से ज़्यादा पद खाली हैं। 

शिक्षा मंत्री ने इस संबंध में कुल 46 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए बात की। शिक्षा मंत्री ने विश्वविद्यालयों में रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने के लिए अक्टूबर तक की डेडलाइन दी है। शिक्षा मंत्री ने इन रिक्त पदों पर वैकेंसी का विज्ञापन जारी करने के लिए दस सितंबर तक का समय दिया है।  

शिक्षा मंत्री के मुताबिक इस समय इन विश्वविद्यालयों में कुल 6,229 पद खाली हैं। जिसमें अनुसूचित जाति के 1,012 पद, अनुसूचित जनजाति के 592 पद, औबीसी के 1,767, EWS के 805 और दिव्यांगों की श्रेणी में 355 पद खाली हैं।  

चार वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रमों जैसे सुधारों पर शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा कि विश्वविद्यालयों को रोल-आउट रणनीति तय करने की स्वायत्तता है। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इन सुधारों में समय लगता है। उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालयों को 2022 से इसके लिए रूपरेखा तैयार करते समय शिक्षकों और छात्रों के साथ परामर्श शुरू करना चाहिए।

नई शिक्षा नीति (एनईपी) के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि जापानी भाषा को एक अतिरिक्त स्कील की तरह है। फर्ज़ कीजिए कि अगर किसी व्यक्ति ने अंग्रेज़ी साहित्य में पोस्ट ग्रैजुएट किया है और उसे जापानी भाषा का भी ज्ञान है, तो उस व्यक्ति को रोज़गार मिलने की संभावना भारत में ही कई गुना बढ़ जाती है। उन्होंने आगे  कहा कि नई शिक्षा नीति, 2020 भारत को उभरती हुई नई विश्व व्यवस्था के शीर्ष पर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। लिहाज़ा भारत के भाग्य के संरक्षक के रूप में हमारे विश्वविद्यालयों को एनईपी के तहत दी गईं जिम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए।