DDC की 43 सीटों पर वोटिंग जारी, अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहला चुनाव
आठ चरणों में होनेवाले जिला विकास परिषद (DDC) चुनाव के पहले चरण में शनिवार को वोटिंग हो रही है, कुल 1475 उम्मीदवार मैदान में

जम्मू-कश्मीर। अनुच्छेद 370 हटने और पूर्ण राज्य का दर्जा छीने जाने के बाद केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में आज पहली बार चुनाव हो रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के दो टुकड़े किए जाने के बाद यह चुनाव जिला विकास परिषद (डीडीसी) के लिए हो रहे हैं। आठ चरणों में होने वाले डीडीसी चुनाव के पहले चरण की वोटिंग आज सुबह से हो रही है। राज्य सरकार ने इस चुनाव के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं।
इन चुनावों में कुल 1,427 उम्मीदवार मैदान में हैं और सात लाख मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे। राज्य चुनाव आयुक्त के के शर्मा ने बताया कि पहले चरण में सुचारू रूप से मतदान के लिए 2,146 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। मतदान प्रक्रिया दोपहर दो बजे समाप्त होगी। इस चुनाव में बीजेपी और पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लरेशन (PAGD) के अलावा पूर्व वित्त मंत्री अल्ताफ बुखारी की अपनी पार्टी भी मैदान में है।
इस बार यहां नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), पीपल्स कॉन्फ्रेंस और सीपीआई (एम) सहित कई प्रमुख पार्टियां गुपकर अलायंस के तहत साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं। इस संगठन ने बुखारी के नेतृत्व वाली पार्टी पर बीजेपी की बी टीम होने का आरोप लगाया है। राष्ट्रीय दल भाजपा और कांग्रेस भी चुनावी मैदान में हैं। राज्य के चुनाव आयुक्त केके शर्मा ने कहा, स्वास्थ्य विभाग कोविड-19 दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए लगा हुआ है।
बता दें कि राज्य में कुल 280 DDC सीटें हैं। राज्य के दोनों संभागों यानी जम्मू और कश्मीर में बराबर-बराबर 140-140 सीटें हैं। डीडीसी के लिए आठ चरणों में होने वाले चुनाव का समापन 19 दिसंबर को होगा और मतों की गिनती 22 दिसंबर को होगी। इन्हीं चुनावों के साथ-साथ 12,153 सीटों के लिए पंचायत उप चुनाव भी हो रहे हैं। इनमें से 11,814 सीटें कश्मीर घाटी की हैं, जबकि शेष जम्मू रीजन की हैं।
आपको बता दें कि मोदी सरकार ने पिछले साल जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य दर्जा खत्म करके दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था। उसके बाद से वहां विधानसभा नहीं है। दिल्ली या पुदुच्चेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभाएं हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में मोदी सरकार ने विधानसभाएं भी नहीं बनाई हैं।