Google विज्ञापन आय का 85 फ़ीसदी हिस्सा प्रकाशकों को दे, INS ने उठाई माँग

इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी ने गूगल को चिट्ठी लिखकर कहा, प्रकाशकों को दिया जाए विज्ञापन आय का ब्योरा, रेवेन्यू शेयरिंग में हो पारदर्शिता

Updated: Feb 26, 2021, 06:01 AM IST

Photo Courtesy: Indian Express
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नई दिल्ली। भारत के अख़बारों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (INS) ने टेक्ऩॉलजी कंपनी गूगल (Google) से कहा है कि वो विज्ञापनों से होने वाली कमाई में प्रकाशकों की हिस्सेदारी बढ़ाकर 85 प्रतिशत करे। INS ने इस बारे में गूगल को एक पत्र लिखा है, जिसमें उसने प्रकाशकों को विज्ञापनों से होने वाली आय का पूरा विवरण उपलब्ध कराने को भी कहा है। INS ने शिकायत की है कि मौजूदा व्यवस्था में गूगल की तरफ से प्रकाशकों को जो भी भुगतान किया जाता है, उसका कोई ब्योरा नहीं दिया जाता। कहीं भी ये नहीं बताया जाता है कि इस महीने जो भुगतान किया जा रहा है, उसकी गणना का आधार क्या है।

आईएनएस के अध्यक्ष एल आदिमूलम ने गूगल इंडिया के प्रमुख संजय गुप्ता के नाम लिखी चिट्ठी में कहा है कि अख़बारों के लिए ख़बरें और सूचनाएँ जमा करने का काम ज़मीनी स्तर पर हज़ारों पत्रकारों मिलकर करते हैं। इस पर अख़बारों को भारी भरकम खर्च करना पड़ता है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि इस तरह से जुटाए गए कंटेंट पर सिर्फ़ अख़बारों का मालिकाना हक़ बनता है, बल्कि इसी कंटेंट की वजह से भारत में गूगल की विश्वसनीयता स्थापित होती है।

इस बारे में जारी एक प्रेस रिलीज़ में INS ने कहा है कि गूगल को विज्ञापन आय का 85 फ़ीसदी हिस्सा प्रकाशकों को देने के साथ ही साथ रेवेन्यू के बारे में पूरी रिपोर्ट भी देनी चाहिए, ताकि इस कारोबार में पारदर्शिता रहे। INS ने बताया है कि उसकी डिजिटल टीम पिछले छह महीने से इस बारे में गूगल के साथ बातचीत कर रही है।

अंग्रेजी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने जब INS की गूगल से बातचीत कर रही टीम के एक सदस्य से पूछा कि मौजूदा व्यवस्था के तहत गूगल की विज्ञापन आय का कितना हिस्सा पब्लिशर्स को मिलता है, तो उन्होंने बताया कि अभी इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है। गूगल की तरफ़ से इस बारे में अभी बहुत ही कम जानकारी दी जाती है। प्रकाशकों को सिर्फ़ महीने के अंत में एक चेक मिल जाता है। लेकिन यह नहीं बताया जाता कि भुगतान की जा रही रक़म की गणना किस आधार पर की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रकाशक चाहते हैं कि उनके कंटेंट पर मिलने वाले विज्ञापन का बड़ा हिस्सा उन्हें मिलना चाहिए।

हाल ही में फ्रांस, यूरोपीय यूनियन और ऑस्ट्रेलिया में सरकारों ने गूगल और फेसबुक पर दबाव बनाया है कि वे अपनी विज्ञापन आय का बड़ा हिस्सा वहां की न्यूज़ इंडस्ट्री के साथ शेयर करें। इन देशों में इसके लिए ज़रूरी कानूनी प्रावधान भी किए जा रहे हैं। भारी दबाव में आने के बाद गूगल और फेसबुक ने एलान किया है कि वो न्यूज़पेपर इंडस्ट्री की मदद के लिए एक अरब डॉलर का निवेश करेंगे।