सत्ता के झूठ का पर्दाफाश करें बौद्धिक लोग, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने की टिप्पणी

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा है कि सच के लिए सिर्फ सरकारों पर निर्भर नहीं रहा जा सकता, कोरोना काल में सरकारों द्वारा मृतकों के आंकड़े छिपाने का उदाहरण सबके सामने है.. असल में मौजूदा वक्त में मेरी सच्चाई बनाम आपकी सच्चाई की प्रतिस्पर्धा सच जानने में बड़ी बाधक है।

Updated: Aug 29, 2021, 11:21 AM IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में जज जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा है कि समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को सरकारों के झूठ का पर्दाफाश करना चाहिए, सच के लिए सिर्फ सरकारों पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। क्योंकि अधिनायकवादी सरकारें अमूमन खुद को मजबूत बनाए रखने के लिए झूठ का सहारा लेती हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह बयान शनिवार को एमसी मंगला मेमोरियल लेक्चर को संबोधित करते हुए कही हैं।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने सरकारों के झूठ के बारे में बताते हुए अमेरिका और वियतनाम का उदाहरण दिया, साथ ही इस बात पर जोर दिया कि एक नागरिक तौर पर हमें निष्पक्ष सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए राजनीतिक और आर्थिक बंदिशों से मीडिया की आजादी का पक्षधर होना चाहिए।

चंद्रचूड़ ने कहा कि लोकतंत्र में सच के लिए सरकारों पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। क्योंकि ऐसा नहीं कहा जा सकता कि लोकतंत्र में सरकारें अपने राजनीतिक हितों के लिए झूठ पर निर्भर नहीं रहतीं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने इस कथन को सिद्ध करने के लिए कोरोना मृतकों के आंकड़ों में सरकारों द्वारा किए गए हेरफेर का भी उदाहरण दिया। 

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कोरोना के संदर्भ में हम यह देखते हैं कि दुनियाभर के तमाम देशों में कोरोना के संक्रमण, संक्रमण के फैलाव और मौत के आंकड़ों के साथ हेरफेर करने का ट्रेंड बढ़ रहा है। लिहाजा हम सच के लिए सरकारों पर निर्भर नहीं रह सकते। जस्टिस चंद्रचूड़ की इस टिप्पणी को मोदी सरकार की आलोचना से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। कोरोना काल में केंद्र सरकार और भाजपा शासित तमाम राज्य सरकारों पर मृतकों का आंकड़ा छिपाने का इल्ज़ाम लग चुका है। 

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जस्टिस चंद्रचूड़ ने झूठ के प्रचार प्रसार के लिए सोशल मीडिया को भी बड़ा जिम्मेदार माना है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने सीधे तौर पर कहा है कि फेसबुक और ट्विटर जैसे प्लेटफार्म को झूठी सामग्रियों को प्रचारित करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। चंद्रचूड़ ने कहा कि झूठ से बचने का तरीका यही है कि हम न सिर्फ सतर्क रहें बल्कि अपने मत और निष्कर्ष से इतर हमें हर तरह के विचार को स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए। 

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जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मौजूद वक्त में मेरी सच्चाई बनाम आपकी सच्चाई की प्रतिस्पर्धा सच जानने में बड़ी बाधक है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज ने इसके लिए दैनिक जीवन का उदाहरण देते हुए कहा कि हम केवल उन तरह के अखबारों और किताबों को पढ़ना या न्यूज़ चैनल देखना पसंद करते हैं जो हमारी राय से मेल खाती हैं। हम उन किताबों को पढ़ने में दिलचस्पी नहीं लेते जो हमारी राय से अलग होती हैं। हम अक्सर उन चैनलों को भी बदल देते हैं या म्यूट कर देते हैं, जो हमारी सोच से मेल नहीं खाते। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा है कि सच तक पहुंचने के लिए विचारों में खुलेपन का होना बेहद जरूरी है। 

जस्टिस चंद्रचूड़ की इन टिप्पणियों को मोदी सरकार की आलोचना से भी जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि इससे पहले भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना भी केंद्र सरकार की आलोचना कर चुके हैं। हाल ही में स्वाधीनता दिवस के अवसर पर सीजेआई ने संसद में बिना बहस के विधेयकों को पास किए जाने के संबंध में अपनी चिंता जाहिर की थी।