Koo App से यूज़र्स का डेटा लीक होने की ख़बर, चाइनीज कनेक्शन भी आया सामने

केंद्र सरकार और माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर में चल रहे विवाद के बीच देसी ट्विटर कहा जा रहा Koo ऐप चर्चा में है, अब जानकारी मिली है कि यह सेफ नहीं है और यूजर्स का डेटा लीक कर रहा है

Updated: Feb 11, 2021, 12:22 PM IST

Photo Courtesy : Republic TV
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार और माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर में चल रहे विवाद के बीच देसी ट्वीटर कहा जा रहा Koo App काफी चर्चा में है। देशभर में कई लोग ट्विटर के खिलाफ अभियान चलाकर लोगों से कथित स्वदेशी कू ऐप का इस्तेमाल करने की अपील कर रहे हैं। इसी बीच अब जानकारी सामने आई है कि यह ऐप यूजर्स के लिए सेफ नहीं है और यूजर्स का निजी डेटा भी लीक कर रहा है। इतना ही नहीं कंपनी का चीन से कनेक्शन भी सामने आया है। 

Koo से यूज़र डेटा लीक होने की जानकारी फ्रेंच साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर ऱॉबर्ट (Robert Baptiste) ने दी है। रॉबर्ट को उनके ट्विटर अकाउंट की वजह से इलियट एंडर्सन (Elliott Anderson) नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने कू पर रिसर्च में पाया है कि यह ऐप यूजर्स के लिए सेफ नहीं है। उन्होंने बताया है कि जो डेटा लीक हो रहा है, उसमें ईमेल, डेट ऑफ बर्थ, नेम, मैरिटल स्टेटस और जेंडर शामिल है। 

सिक्योरिटी रिसर्चर ने अपने इस दावे को साबित करने के लिए कुछ स्क्रीनशॉट्स भी शेयर किए हैं। स्क्रीनशॉट से ये साफ है कि ऐप कई पर्सनल डेटा लीक कर रहा है। आशंका जताई जा रही है कि ऐप के लाखों यूजर्स के डेटा अभी तक लीक हो चुके होंगे। चिंता की बात यह है कि कुछ भारतीय सरकारी विभाग और मंत्री भी इस प्लेटफॉर्म से जुड़ गए हैं। सूचना प्रसारण मंत्रालय के आधिकारिक एकाउंट से लेकर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के अकाउंट तक इस ऐप पर बनाए गए हैं।

इस सिलसिले में विवाद बढ़ता देख Koo ऐप के सीईओ ने सफाई भी दी है। उन्होंने ट्वीट करके कहा है कि डेटा लीक के बारे में कुछ खबरें अनावश्यक रूप से बोली जा रही हैं। उन्होंने सिक्योरिटी रिसर्चर द्वारा पोस्ट किए गए स्क्रीनशॉट को लेकर कहा है कि उसे यूजर ने स्वेच्छा से कू के अपने प्रोफाइल पर दिखाया है। उन्होंने कहा, 'इसे डेटा लीक नहीं कहा जा सकता। यदि आप किसी यूजर के प्रोफ़ाइल पर जाते हैं तो आप इसे वैसे भी देख सकते हैं।' 

क्या है कू का चाइनीज कनेक्शन

रॉबर्ट ने डोमेन Kooapp.com का Whois रिकॉर्ड भी शेयर किया है जो इसके चीनी कनेक्शन की ओर इशारा करता है। दरअसल, जिन डोमेन डिटेल्स को रिसर्चर ने शेयर किया है वो डोमेन के हिस्टोरिकल ओनरशिप का हिस्सा है। रिकॉर्ड से पता चलता है कि इसे करीब चार साल पहले क्रिएट किया गया था और इसमें कई बदलाव हुए हैं। वहीं कू ऐप की लेटेस्ट ओनर बॉम्बिनेट टेक्नोलॉजीज़ (Bombinate Technologies) प्राइवेट लिमिटेड है जो साल 2019 के आखिर में आई थी।

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इसमें चीन की कंपनी शुनवेई (Shunwei) का कुछ इन्वेस्टमेंट है। शुनवेई चीन की मोबाइल निर्माता कंपनी श्याओमी (Xiaomi) से जुड़ा, एक वेंचर कैपिटल फंड है, जो स्टार्टअप्स में इन्वेस्ट करता है। हालांकि, इस बारे में कू कंपनी का कहना है कि शुनवेई जल्द ही अपनी हिस्सेदारी बेचकर बाहर निकलने वाली है। बहरहाल, इसका मतलब यह भी है कि फिलहाल तो शुनवेई की हिस्सेदारी Koo में है। 

पिछले कुछ दिनों के दौरान मोदी सरकार और ट्विटर में टकराव जैसी स्थिति बनी हुई है। मोदी सरकार चाहती है कि वो जिन एकाउंट्स को बंद करने को कहे, उन्हें ट्विटर फौरन बंद कर दे। लेकिन ट्विटर का कहना है कि वो मीडिया हाउस, पत्रकारों, एक्टिविस्ट और राजनेताओं एकाउंट सिर्फ सरकार के कहने से बंद नहीं करेगी, क्योंकि ऐसा करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ होगा। ट्विटर से इस जवाब से मोदी सरकार और भी नाराज़ हो गई है और ट्विटर से कहा है कि वो सरकार के आदेश की अनदेखी नहीं कर सकती।