अब शरद पवार के नाम से महकेंगे फूलों के बाग़ान, कोल्हापुर के पास देव राई के जंगलों में मिली फूल की नई प्रजाति

कोल्हापुर के दो वैज्ञानिकों ने सेक्रेड ग्रोव, देव राई के रामलिंग हिल्स में मिले फूल की एक नई प्रजाति को दिया अर्जेरिया शरदचंद्रजी का नाम, शरद पवार के कृषि क्षेत्र में योगदान को याद रखने के लिए किया गया नामकरण

Updated: Apr 02, 2021, 06:52 AM IST

मुंबई। महाराष्ट्र के कोल्हापुर में अर्जीरिया फूल की नई प्रजाति को अब महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार के नाम से जाना जाएगा। कोल्हापुर के एक कॉलेज में बॉटनी के शोधकर्ताओं ने ने वेस्टर्न घाट के जंगलों में मिले इस नए फूल को शरद पवार का नाम दिया है, ताकि उनके कृषि श्रेत्र में दिए गए योदगान को याद किया जा सके। फूल की इस नई प्रजाति का नाम अर्जीरिया शरदचंद्रजी रखा गया है। 

अर्जिरिया प्रजाति की नई उप प्रजाति की खोज कोल्हापुर के एक कॉलेज में वनस्पति शास्त्र पढ़ाने वाले दो वैज्ञानिकों ने की है। शोधकर्ताओं प्रमोद लावंड और विनोद शिंप्ले ने इस नई उप प्रजाति को खोज निकाला है। उनका शोध पत्र आर्गीरिया शरदचंद्र हाल ही में 'जर्नल ऑफ इंडियन एसोसिएशन फॉर एंजियोस्पर्म टैक्सोनमी' में प्रकाशित हुआ है।

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एशिया में इन फूलों की करीब 40 प्रजातियां मिलती हैं, इसमें 17 प्रजातियां भारत की स्थानीय हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि 'अब हमने रामलिंग की पहाड़ी में एक नई प्रजाति की खोज की है, जो कि भारत में पायी जानेवाली 18वीं प्रजाति है। उन्होंने बताया कि इस पौधे में जुलाई से सितंबर के बीच फूल लगते हैं और इसके फल लगने की अवधि दिसंबर तक रहती है। शोधकर्ता विनोद शिंप्ले ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई ने बात करते हुए बताया कि भारत में अर्जीरिया प्रजाति का यह फूल खुले इलाके में पाया जाता है और झाड़ियों के आस पास पनपता है।

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शोधकर्ता वैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ साल पहले शरद पवार ने उनके पुराने रिसर्च पेपर को पब्लिश कराने में मदद की थी। लेकिन वो उनके कृषि मंत्री रहते हुए कृषि क्षेत्र में किए गए उनके कामों से काफी प्रभावित हैं। भारतीय कृषि को शरद पवार के योगदान की वजह से शोधकर्ताओं ने फूल को उनका नाम दिया है।