सुप्रीम कोर्ट पहुंचा खरगोन में घर ढहाए जाने का मामला, कपिल सिब्बल से कानूनी सलाह के बाद याचिका दायर

दंगों जैसे मामले में आरोपियों की संपत्ति पर बुलडोजर चलाए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है, जमीअत उलेमा-ए-हिंद ने याचिका दायर कर यूपी, एमपी और गुजरात सरकार को पक्षकार बनाया गया है

Updated: Apr 18, 2022, 08:23 AM IST

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के खरगोन में बुलडोजर से घर ढहाए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। जमीअत उलेमा-ए-हिंद ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर किया है। याचिका में मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश और गुजरात में घर ढहाए जाने की घटनाओं का उल्लेख किया गया है और इसे मौलिक अधिकारों का हनन बताया गया है। 

जमीयत के मुताबिक, भाजपा शासित राज्यों में अपराध की रोकथाम की आड़ में अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों को तबाह करने के उद्देश्य से बुलडोजर की खतरनाक राजनीति शुरू हुई है। इसी पर रोक लगाने के मकसद से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है जिसमें जमीअत उलमा-ए-हिन्द कानूनी इमदादी कमेटी के सचिव गुलजार अहमद आजमी वादी बने हैं।

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याचिका में सर्वोच्च न्यायालय से यह अनुरोध किया गया है कि, वह राज्यों को आदेश दे कि अदालत की अनुमति के बिना किसी का घर या दुकान को गिराया नहीं जाएगा। इसमें केन्द्र सरकार के साथ साथ उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात सरकार को पक्षकार  बनाया गया हैं जहां हाल के दिनों में मुसलमानों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने आईं हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐडवोकेट सारिम नवेद ने सीनीयर ऐडवोकेट कपिल सिब्बल से सलाह-मशविरा करने के बाद याचिका तैयार की है। जबकि ऐडवोकेट आन रिकार्ड कबीर दीक्षित ने इसे ऑनलाइन दाखिल किया है। याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस आफ इंडिया से अनुरोध किया जाएगा।

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याचिका में कहा गया है कि ज्यादातर पीड़ित अल्पसंख्यक, दलित, आदिवासी आदि होते हैं। अल्पसंख्यकों के खिलाफ अवैध कदम धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने पर सीधा हमला है। याचिका में राज्यों के शीर्ष नेतृत्व द्वारा प्रशासन को समर्थन देने का आरोप लगाया गया है।