इमरजेंसी के दौरान मैं एक सिख के वेश में रहता था, पंजाब चुनाव से पहले PM मोदी ने सिखों से जोड़ा रिश्ता
पीएम मोदी में दिल्ली स्थित आवास पर सिख समुदाय के लोगों से बात की, इस दौरान उन्होंने कहा कि यह देश कोई 1947 में पैदा थोड़े ही हुआ है जी, हमारे गुरुओं ने कितनी तपस्या की है
नई दिल्ली। पंजाब चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली स्थित अपने आवास पर कई सिख नेताओं मुलाकात की। पीएम मोदी ने इस मुलाकात की दर्जनों तस्वीरें साझा की है। इस दौरान हुई बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत का जन्म 1947 में नहीं हुआ। उन्होंने सिखों से रिश्ता जोड़ते हुए कहा कि इमरजेंसी के समय मैं भी पुलिस से बचने के लिए पगड़ी पहना करता था।
दरअसल, पंजाब में रविवार को चुनाव होने हैं। चुनाव से ठीक पहले पीएम मोदी का सिखों को आवास पर बुलाना सियासी संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी मुलाकात के एक वीडियो में पीएम मोदी कहते दिख रहे हैं की", 'यह देश कोई 1947 में पैदा थोड़े ही हुआ है जी... हमारे गुरुओं ने कितनी तपस्या की है...हमने इमरजेंसी ऑपरेशन के समय बहुत पीड़ाएं सहीं। उस दौरान पंजाब में इमरजेंसी के खिलाफ सत्याग्रह हुआ करते थे। मैं उस समय अंडरग्राउंड था. मैं छिपने के लिए एक सिख का भेष बना कर रखता था। मैं पगड़ी पहना करता था।
A very special interaction with the Sant Samaj and distinguished members of the Sikh community. pic.twitter.com/vjCTJ3wMW3
— Narendra Modi (@narendramodi) February 18, 2022
इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को 1947 के विभाजन के समय भारत में रखने में विफल रही औऱ अब करतारपुर साहिब गुरुद्वारा पाकिस्तान में पंजाब से 6 किलोमीटर दूर है। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस केवल 6 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद करतारपुर को भारत में मिलाने का समझौता नहीं कर पाई। मैंने कूटनीतिक रास्ते से बात शुरू की। जब मैं पंजाब में रहा करता था मैं दूरबीन से करतारपुर साहिब को देखा करता था। उस समय मैं सोचा करता था कि हमें कुछ करना होगा।'
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प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि, 'गुरुओं की कृपा से हम यह पवित्र काम कर पाए। जो काम हमने इतने छोटे समय में कर लिया यह बिना श्रद्धा के संभव नहीं था। उन्होंने अफगानिस्तान से सम्मानपूर्वक गुरु ग्रंथ साहेब को वापस लाए जाने का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा कि, 'अफगानिस्तान से गुरु ग्रंथ साहिब को सम्मान समेत वापस लाने की ज़रूरत थी। हमने एक विशेष विमान का इंतजाम किया। मैंने अपने एक मंत्री को इसे सम्मान से वापस लाने को कहा। गुजरात से होने की वजह से मैं ये कहना चाहता हूं कि मेरा आपके साथ खून का रिश्ता है क्योंकि गुरु गोविंद सिंह जी के पंज प्यारों में से एक गुजरात से भी था।'