यूपी के मुख्यमंत्री का संविधान विरोधी बयान, सेक्युलरिज्म को बताया भारत के लिए खतरा

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के बयान पर कांग्रेस ने सख़्त एतराज़ ज़ाहिर किया, अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, बीजेपी की असली सोच हो रही है बेनकाब

Updated: Mar 08, 2021, 07:10 AM IST

Photo Courtesy: Indian Express
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नई दिल्ली/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सेकुलरिज़्म को देश के लिए खतरा बताकर एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। उनके इस बयान पर कांग्रेस ने गंभीर सवाल उठाया है। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि इस बयान ने बीजेपी की असली सोच का पर्दाफाश कर दिया है। आदित्यनाथ जिस सेकुलरिज़्म को देश के लिए खतरा बता रहे हैं, वह न सिर्फ भारतीय संविधान के मूलभूत सिद्धांतों में शामिल है, बल्कि देश की एकता का आधार भी है।

दरअसल, यह विवाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के जिस बयान की वजह से शुरू हुआ है, वह उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम के मंच से दिया है। आदित्यनाथ ने शनिवार को हुए इस कार्यक्रम में कहा कि धर्मनिरपेक्षता वैश्विक स्तर पर भारतीय परंपराओं के लिए बड़ा खतरा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा फ़ैलाने वालों को सजा भुगतनी होगी। हालांकि बाद में आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि लोगों को छोटे सांप्रदायिक तनावों में शामिल होकर देश में सौहार्द की भावना को कमज़ोर नहीं करना चाहिए। लेकिन मुख्यमंत्री के सेकुलरिज्म को खतरा बताने वाले बयान ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि आबादी के लिहाज से भारत के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री सार्वजनिक मंच पर कहते हैं कि सेकुलरिज्म देश के मूलभूत सिद्धांतों को आगे बढ़ाने में सबसे बड़ा खतरा है। बीजेपी की असली विचारधारा का इतना खुलेआम पर्दाफाश पहले कभी नहीं हुआ था। आने वाले दिनों में स्थिति और खराब होने की आशंका है।

योगी आदित्यनाथ के बयान को गंभीरता से लेना इसलिए भी ज़रूरी है, क्योंकि वे सिर्फ बीजेपी के एक नेता ही नहीं, बल्कि देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री भी हैं, जिन्होंने संविधान का पालन करने की शपथ ली है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब उनका सेकुलरिज़्म के सिद्धांत में कोई यकीन ही नहीं है, तो मुख्यमंत्री बनते समय सेकुलरिज्म पर आधारित संविधान की शपथ उन्होंने क्या सिर्फ किसी भी तरह सत्ता हासिल करने के लिए ली थी? सवाल यह भी है कि अगर बीजेपी की असली सोच यही है कि तो सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का प्रधानमंत्री मोदी का दिया नारा क्या सिर्फ दुनिया को गुमराह करने के लिए है?