BJP को दोहरा झटका, टिकट की घोषणा के बाद दो उम्मीदवारों ने किया चुनाव लड़ने से इनकार, शिखा मित्रा और तरुण साहा ने झाड़ा पल्ला

बीजेपी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए 148 उम्मीदवारों की सूची जारी की, इसमें उसने राज्य के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा की पत्नी शिखा मित्रा और तरुण साहा को भी बनाया उम्मीदवार, लेकिन दोनों ने किया बीजेपी से किनारा

Updated: Mar 18, 2021, 04:56 PM IST

कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने एड़ी चोड़ी एक कर दी है। बीजेपी का लक्ष्य दूसरे दलों के नेताओं को अपने पाले में कर बंगाल फतह करने का है। इसी क्रम में बीजेपी ने आज कांग्रेस के स्टेट प्रेसिडेंट रहे दिवंगत सोमेन मित्रा की पत्नी शिखा मित्रा को टिकट दे दिया। लेकिन स्थित तब दुविधापूर्ण हो गई जब शिखा मित्रा ने वीडियो संदेश जारी कर कहा कि वह बीजेपी में शामिल ही नहीं हुई हैं, इसलिए बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने की बात ही नहीं उठती।

दरअसल, बीजेपी ने गुरूवार को अपने 148 उम्मीदवारों की सूची जारी की। इस सूची के जारी होने के बाद मीडिया में सनसनीखेज तरीके से यह खबर चलाई जाने लगी कि बंगाल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सोमेन मित्रा की पत्नी बीजेपी में शामिल हो गईं हैं और वह चौरंगी विधानसभा क्षेत्र से पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी। मीडिया में यह खबरें इसलिए आई क्योंकि बीजेपी ने उन्हें वाकई में अपना उम्मीदवार बनाया है। लेकिन इस खबर में ट्विस्ट तब आया जब मित्रा ने वीडियो संदेश जारी किया।

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शिखा मित्रा ने इस बारे में कहा कि, 'मैं कभी भी बीजेपी का उम्मीदवार नहीं बनूंगी। यह बिल्कुल अविश्वसनीय है। यह झूठ है' बता दें कि हाल में टीएमसी से बीजेपी में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी ने शिखा मित्रा के घर जाकर उनसे मुलाकात की थी। उसके बाद से शिखा मित्रा के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगाई जाने लगी थी। हालांकि, शिखा मित्रा ने शुभेंदु अधिकारी से मुलाकात के बाद कहा था कि शुभेंदु से मेरा बहुत ही पुराना संबंध है।

उन्होंने कहा था कि, 'मेरे पति का शुभेंदु के पिता शिशिर अधिकारी के साथ बहुत ही करीबी रिश्ता था। शुभेंदु समय-समय पर उनके घर आते रहे हैं और मुझे चाची कहकर बुलाते हैं। मैने बीजेपी में शामिल होने का कोई फैसला नहीं किया है' इस बीच बीजेपी द्वारा शिखा को टिकट दिए जाने से बंगाल के सियासी गलियारों में बीजेपी के हालात को लेकर चर्चाएं तेज हो गईं हैं। कहा जा रहा है कि 200 से ज्यादा सीटें जीतने का हवा-हवाई दावा करने वाली बीजेपी को उम्मीदवार तक नहीं मिल पा रहे हैं।

वैसे पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की पत्नी शिखा मित्रा ने 2011 में ममता बैनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस से जो सीट, चौरंगी विभानसभा जीती थी, बीजेपी ने उसी सीट पर उन्हें उम्मीदवार बनाया था। असल में, हाल ही में उनकी टीएमसी से बीजेपी में गए और ममता बैनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे शुभेन्दु अधिकारी से मुलाकात ने कुछ संशय पैदा किया था। तब उनका बयान भी आया था कि हमें कोई ठिकाना तो ढ़ूंढ़ना ही होगा। ऐसे बयान के बाद कयास लग रहे थे कि वो बीजेपी का दामन थाम सकती हैं। लेकिन उन्होंने वीडियो रिलीज कर खुद चुनाव लड़ने से मना कर दिया है।

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यही नहीं, तृणमूल कांग्रेस MLA माला साहा के पति, तरुण साहा ने भी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। बीजेपी ने उन्हें काशीपुर बेलगछिया से अपना उम्मीदवार घोषित किया है। तरुण साहा की पत्नी माला साहा इस सीट से 2011 और 2016 में टीएमसी विधायक रही हैं। इस बार टीएमसी ने इस सीट से अतिन घोष को अपना उम्मीदवार बनाया है। फिर भी माला साहा के पति तरुण साहा ने इस ऑफर को ठुकरा दिया है। मीडिया से चर्चा में उन्होंने कहा है कि बीजेपी ने टिकट देने से पहले उनसे संपर्क नहीं किया। 

बहरहाल, एक ऐसा ही मामला पहले भी आ चुका है जब बीजेपी ने बिना सहमति लिए किसी को बंगाल में अपना उम्मीदवार बना दिया हो। ऐसा ही एक मामला बीते आठ मार्च को सामने आया था जिसमें बीजेपी ने एक महिला जो दिहाड़ी मजदूरी करती है उसे टिकट दिया। महिला सशक्तिकरण के नजरिये से देखा जाए तो यह फैसला स्वागतयोग्य होना चाहिए। लेकिन इसमें दिलचस्प बात यह है कि बांकुरा जिले के साल्टोरा विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशी चांदना ने मीडिया को बताया कि उन्हें स्थानीय लोगों ने बताया कि उन्हें बीजेपी से टिकट मिला है।

चूंकि, चांदना गरीब परिवार से आती हैं और उनके घर टेलीविजन भी नहीं है ताकि वह न्यूज देख सकें, न ही वह अखबार खरीद पाती हैं। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी बताया है कि उनके घर शौचालय तक नहीं है। ऐसे में स्थानीय लोगों के हवाले से उन्हें पता चला कि बीजेपी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है। इसके बाद उन्होंने इस खबर की पुष्टि की और अब वे चुनाव प्रचार के लिए भी आसपास के क्षेत्रों में जाती हैं। बीजेपी उम्मीदवार चांदना खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहुप्रचारित योजना स्वच्छ भारत अभियान के तहत बनाए जाने वाले शौचालयों की सच्चाई बयां कर रही हैं।