चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाला विवादित बिल लोकसभा से पास, दो तिहाई से अधिक विपक्षी सांसद थे अनुपस्थित

लोकसभा से गुरुवार को तीन और सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया। कांग्रेस सांसद डी के सुरेश, नकुल नाथ और दीपक बैज को सस्पेंड किया गया है।

Updated: Dec 21, 2023, 04:41 PM IST

नई दिल्ली। लोकसभा में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति संबंधित विवादित बिल को पास कर दिया गया है। दो तिहाई से अधिक विपक्षी सांसदों की अनुपस्थिति में सदन से इस बिल को पारित कराया गया। राज्यसभा से यह बिल 12 दिसंबर को पास हुआ था।

लोकसभा से गुरुवार को तीन और सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया। कांग्रेस सांसद डी के सुरेश, नकुल नाथ और दीपक बैज को सस्पेंड किया गया है। इन्हें मिलाकर संसद से कुल 146 सांसद अब तक सस्पेंड किए जा चुके हैं। चूंकि, राज्यसभा ने पहले ही CEC और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 को मंजूरी दे दी थी। अब इसे राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजा जाएगा। 

लोकसभा में कानून पर चर्चा के दौरान, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि शीर्ष चुनाव अधिकारियों की सेवा शर्तों पर 1991 का अधिनियम एक आधा-अधूरा प्रयास था और वर्तमान विधेयक पिछले कानून द्वारा छोड़े गए क्षेत्रों को कवर करता है। इसके बाद विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। बता दें कि तमाम आपत्तियों के बाद कानून में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए। विपक्ष ने इस कानून की आलोचना करते हुए कहा है कि यह चुनाव आयोग की स्वतंत्रता से समझौता करेगा।

दरअसल, इस साल की शुरुआत में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश के तीन सदस्यीय पैनल की सलाह पर की जानी चाहिए। इस ऐतिहासिक फैसले का उद्देश्य शीर्ष चुनाव निकाय को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाना था। लेकिन केंद्र द्वारा लाए गए बिल में सरकार ने मुख्य न्यायाधीश की जगह एक केंद्रीय मंत्री को नियुक्त किया है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि यह बिल सरकार को शीर्ष चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति पर अधिक अधिकार देता है और ये साफ तौर पर चुनाव निकाय की स्वायत्तता से समझौता करने जैसा है।