ममता पर हमले के मामले में चुनाव आयोग पहुँची टीएमसी, दिलीप घोष के ट्विटर पोस्ट का मसला भी उठाया

ममता बनर्जी पर 10 मार्च को नंदीग्राम में हमला हुआ था, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने उसके दो दिन पहले एक कार्टून शेयर किया था, जिसमें ममता को सड़क पर गिरकर चोट लगते दिखाया गया है

Updated: Mar 12, 2021, 12:40 PM IST

कोलकाता। नंदीग्राम में ममता बनर्जी को लगी चोट के सिलसिले में आज तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने चुनाव आयोग से मुलाक़ात की। करीब डेढ़ घंटे की इस मुलाकात के दौरान टीएमसी नेताओं ने अपनी नेता को एक साजिश के तहत निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया। उन्होंने इस सिलसिले में खास तौर पर पश्चिम बंगाल के बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष के उस ट्वीट का जिक्र भी किया, जिसमें ममता बनर्जी को सड़क पर गिरकर घायल होते हुए दिखाया गया है। इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के उस भाषण का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने ममता बनर्जी की स्कूटी के गिरने की बात कही थी। 

टीएमसी नेताओं ने चुनाव आयोग से मुलाकात के दौरान आरोप लगाया कि ममता बनर्जी पर एक साजिश के तहत हमला किया गया है। उन्होंने आयोग से कहा है कि हैरान करने वाली बात है कि नंदीग्राम में हुए हमले से दो दिन पहले ही बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने ममता बनर्जी की ऐसी तस्वीर पोस्ट की थी, जिसमें उन्हें सड़क पर गिरकर घायल होते हुए दिखाया गया है। 

दरअसल बीजेपी नेता दिलीप घोष ने 8 मार्च को ममता बनर्जी मज़ाक उड़ाने वाला एक कैरिकेचर या कार्टून ट्विटर पर शेयर किया था। इसमें ममता बनर्जी को नंदीग्राम में बुरी तरह ज़मीन पर गिरते हुए दिखाया गया है। तस्वीर का कैप्शन है, 'तृत्यो सुर, षष्ठो सुर, पीसी (बुआ) चलो बहु (बहुत) दूर।' तस्वीर में भवानीपुर से नंदीग्राम का साइनबोर्ड भी दिखाया गया है। इसका आशय यह है कि भवानीपुर से नंदीग्राम आने पर ममता बनर्जी धड़ाम से नीचे गिर रही हैं। 

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टीएमसी नेताओं ने चुनाव आयोग को दिलीप घोष के इस ट्वीट की जानकारी  चुनाव आयोग को देकर यह बताने की कोशिश की है कि ममता पर हुए हमले के पीछे कहीं न कहीं बीजेपी की साज़िश है। टीएमसी नेताओं ने बीजेपी नेता बाबुल सुप्रियो और सौमित्र खान के ट्वीट्स का भी हवाला दिया है। इन दोनों ने घटना के फौरन बाद ही आरोप लगाना शुरू कर दिया था कि ममता बनर्जी नाटक कर रही हैं।

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इससे पहले तृणमूल कांग्रेस ममता पर हुए हमले के सिलसिले में चुनाव आयोग को पत्र लिखकर भी शिकायत कर चुकी है। इस पत्र में टीएमसी ने हमले वाले दिन मुख्यमंत्री की सुरक्षा में गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग पर भी सवाल उठाए थे। इस चिट्ठी के जवाब में चुनाव आयोग ने कहा है कि पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था उसके हाथ में ही नहीं है।

चुनाव आचार संहिता लागू होने के कई दिनों बाद दिया गया चुनाव आयोग का यह बयान हैरान करने वाला है। वो भी तब, जबकि चुनाव आयोग खुद अपने आदेश से राज्य के पुलिस प्रमुख यानी डीजीपी को हटाकर नए पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति कर चुका है। इससे पहले आयोग ने पश्चिम बंगाल के एडीजी लॉ एंड आर्डर को भी हटाया है। आयोग ने यह सारे काम सीधे राज्य के मुख्य सचिव को आदेश देकर करवाए हैं। चुनाव आयोग खुद कह चुका है कि निर्वाचन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद उसे ऐसे आदेश देने से पहले राज्य सरकार से सलाह करने की भी ज़रूरत नहीं है। ऐसे में सवाल यह है कि जब आयोग को राज्य की कानून व्यवस्था संभालने वाले सर्वोच्च पदों पदों पर बैठे अफसरों को हटाने का अधिकार है, उन पर नए अफसरों को तैनात करने का अधिकार है, तो भला कानून-व्यवस्था उसके हाथ में कैसे नहीं है? और अगर चुनाव आयोग की बात वाकई सच है तो भला पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था इस वक्त किसके हाथ में है?