जी भाईसाहब जी: भ्रष्टाचार ही नहीं अत्याचार, दुराचार और अहंकार की बीजेपी
MP Politics: निमाड़ के कद्दावर नेता नरेंद्र सिंह तोमर के पार्टी छोड़ देने से बीजेपी संगठन चिंता में है। दूसरी तरफ, मैदानी कार्यकर्ता चाल, चरित्र और चेहरे को अपनी खासियत बताने वाली बीजेपी कहां गुम हो गई है? भ्रष्टाचार ही नहीं अत्याचार, दुराचार, अनाचार और अहंकार बीजेपी की पहचान क्यों बनते जा रहा है?
अपने नेताओं केेअहंकार और व्यवहार से आहत मैदानी कार्यकर्ता
अपने श्रम और समय से बीजेपी को सबसे बड़ी पार्टी बनाने वाले कार्यकर्ता इनदिनों पूछ रहे हैं कि कुशाभाऊ ठाकरे के संस्कारों वाली बीजेपी कहां है? चाल, चरित्र और चेहरे को अपनी खासियत बताने वाली बीजेपी कहां गुम हो गई है? भ्रष्टाचार ही नहीं अत्याचार, दुराचार, अनाचार और अहंकार बीजेपी की पहचान क्यों बनते जा रहा है? इन सवालों से देवरूप कहे जाने वाले कार्यकर्ताओं का मन आहत है।
पूर्व मंत्री और पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन का एक वीडियो वायरल हुआ है। जिसमें वे छात्राओं को अमर्यादित ढंग से पकड़ रहे हैं। इनके इस ‘बेड टच’ पर कांग्रेस ने आपत्ति ली और कहा कि 'बेटी बचाओ का नारा देने वाले बीजेपी नेताओं से बेटी बचाओ।' यह उस समय हो रहा थ जब दिल्ली में धरने पर बैठे पहलवानों की सुनवाई नहीं हो रही है। एक बीजेपी सांसद इतने खिलाडि़यों पर भारी पड़ रहा है। एमपी में भी बिसेन पर पार्टी ने कोई कार्रवाई तो नहीं कि लेकिन मैदान में कार्यकर्ता शर्मसार दिखे।
भोपाल में सोमवार देर रात बीजेपी नेता राजेंद्र पांडे ने गोली मार र अपनी पत्नी शीला पांडे की हत्या कर दी। उधर, जबलपुर एमबीए की छात्रा वेदिका ठाकुर ने अंतत: 11 दिनों तक संघर्ष के बाद दम तोड़ दिया. वेदिका को बीजेपी नेता प्रियांश विश्वकर्मा ने 16 जून को अपने दफ्तर में गोली मार दी थी. हालांकि, बीजेपी ने तो प्रियांशु को अपना नेता मानने से इंकार कर दिया है लेकिन प्रियांश विश्वकर्मा के सोशल मीडिया एकाउंट पर बीजेपी के प्रमुख नेताओं के साथ फोटो और वीडियो उपलब्ध हैं। बीजेपी कार्यकर्ता जानते हैं कि प्रियांश विश्वकर्मा नरसिंहपुर विधायक जालम सिंह के दिवंगत बेटे मोनू पटेल का जिगरी दोस्त था।
बुंदेलखंड में आपसी राजनीतिक टकराव के कारण मंत्री एक दूसरे के समर्थकों को नीचा दिखा रहे हैं। भोपाल के आरटीओ ऑफिस में भ्रष्टाचार की खबरें उठी तो मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने फोरी कार्रवाई की। ऐसी तात्कालिक कार्रवाइयों से परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी, कहना मुश्किल है।
पार्टी नेताओं का अहंकार ऐसा कि गरीब, दलित शोषण का शिकार हो रहे हैं। सेवा नहीं मेवा नेताओं का लक्ष्य हो गया है। पैसा, पॉवर और इससे उपजा अहंकार पार्टी के उन कार्यकर्ताओं को चुभ रहा है जिन्होंने खुद को होम कर पार्टी की सेवा की है। मंत्रियों के भ्रष्टाचार पर वे खुल कर बोल रहे हैं, सार्वजनिक मंच से बोल रहे हैं, मुख्यमंत्री के साथ बैठक में बोल रहे हैं।
नरेंद्र सिंह तोमर कांग्रेस में गए तो लग जाएगी कतार
अपने नेताओं भ्रष्टाचार, अनाचार, दुराचार और अपनों को नजरअंदाज कर देने वाले अहंकार का ही परिणाम है कि बीजेपी के कार्यकर्ता आहत हैं। अपने नेताओं के व्यवहार से आहत बीजेपी नेता पार्टी छोड़ कर कांग्रेस का रूख कर रहे हैं। बीजेपी के लिए गंभीर चिंता वाली बात यह है कि जनाधार वाले नेता पार्टी के कार्य व्यवहार से क्षुब्ध हो कर घर बैठ रहे हैं। इनका घर बैठना 51 फीसदी वोट शेयर पाने के बीजेपी के मंसूबों पर पानी फेर सकता हैं।
ऐसे ही एक नेता है पर्यटन विकास निगम के उपाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर। तोमर मांधाता क्षेत्र के कद्दावर बीजेपी नेता हैं। जनसंघ और छात्र राजनीति के जरिए उन्होंने अपना समर्थक वर्ग तैयार किया है। 2018 के चुनाव में उन्हें कांग्रेस के नारायण पटेल ने हरा दिया था। बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ नारायण पटेल कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में आ गए। बीजेपी ने 2020 के उप चुनाव में नारायण पटेल को टिकट दिया। नरेंद्र सिंह तोमर की नाराजगी दूर करने के लिए उन्हें पर्यटन विकास निगम का उपाध्यक्ष बना कर राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया।
पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं हैं तो उपाध्यक्ष के रूप नरेंद्र सिंह तोमर को निगम में बहुत अधिक तवज्जो नहीं मिली। उधर, संगठन में भी उनकी पूछ परख कम होती गई। पार्टी में आ रहे बदलावों और मूल कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किए जाने से दु:खी नरेंद्र सिंह तोमर ने सभी पदों तथा पार्टी की सदस्यता से त्यागपत्र दिया है। उनके कांग्रेस में जाने की चर्चा है।
संगठन नरेंद्र सिंह तोमर की मानमनुहार में जुटा है। बीजेपी जानती है कि पूर्व मंत्री दीपक जोशी के जाने के बाद पार्टी छोड़ने वाले नेताओं की संख्या बढ़ गई है। बुंदेलखंड और सिंधिया के प्रभाव क्षेत्र में तो नेता और कार्यकर्ता पार्टी छोड़ कर जा रहे है। नरेंद्र सिंह तोमर के बाद निमाड़ में भी नेताओं का पार्टी छोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया तो यह बड़ा संकट होगा। जिस तरह डूबते जहाज को छोड़ कर भागा जाता है, नेता भी बीजेपी का साथ छोड़ कर जाने लगेंगे।
2023 का महाभारत में ‘शिव’ और ‘विष्णु पुराण’
‘मिशन 2023’ बीजेपी और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। बीजेपी के पास खोने के लिए बहुत कुछ है जबकि कांग्रेस के पास पाने की उम्मीद ही। सरकार जाएगी तो बीजेपी के लिए यह 2018 से बड़ा सबक होगा। संकट केवल सत्ता में वापसी का नहीं है। बीजेपी नेताओं की असल चिंता टिकट पाना भी है।
तमाम समीकरणों को साधते हुए टिकट पाने को लालायित बीजेपी नेता खेमे का लाभ लेने की जुगत में भी हैं। बीजेपी में विष्णु दत्त शर्मा के अध्यक्ष बनने के बाद बदलाव का आगाज हुआ था तथा नए निजाम ने पार्टी में युवाओं को प्राथमिकता दी गई। इस क्रम में कई वरिष्ठ नेता दरकिनार हो गए।
नजरअंदाज हुए नेता उम्मीद में थे कि नेतृत्व बदलेगा तो उनका भाग्य बदलेगा। इसी आस में नेतृत्व परिवर्तन की खबरें चल पड़ती है। जब पार्टी नेतृत्व ने साफ कर दिया कि चुनाव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में ही होंगे तो प्रदेश अध्यक्ष को बदले जाने की उम्मीद की जाने लगी। फरवरी में कार्यकाल खत्म होने के बाद अब तब वीडी शर्मा के कार्यकाल को बढ़ाए जाने के आदेश जारी नहीं हुए हैं। इसी को आशा की किरण मानते हुए बीजेपी में हवा बनाई गई थी कि वीडी शर्मा की विदाई तय है। माहौल बनाने वाले वे लोग हैं जिनकी वीडी शर्मा से बनती नहीं है और वे वीडी शर्मा की विदाई में अपने भविष्य को सुनहरा देख रहे हैं।
लेकिन अब ये हवा बनाने वाले नेता निराश हैं क्योंकि मंगलवार को प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बीजेपी के चुनाव अभियान का श्री गणेश करने के साथ ही तय हो गया है कि अब नेतृत्व में कोई परिवर्तन नहीं होगा। बीजेपी के असंतुष्ट नेताओं ने यह स्वीकार कर लिया है कि अब तो वीडी शर्मा ही रहेंगे भाईसाहब। अब बदलाव की गुंजाइश बहुत न्यून है। जब तक कोई बड़ा कारण न आ जाए, 2023 का महाभारत शिव और विष्णु पुराण के आधार पर ही लड़ा जाएगा।
कांग्रेस की ‘एमपी फाइल्स’ को रोक पाएगी बीजेपी की चाल?
चुनाव के पहले आई ‘कश्मीर फाइल’ और ‘केरल फाइल’ ने देश में अलग तरह का माहौल बनाने का काम किया है। अब मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने तय किया है कि वह शिवराज सरकार में हुए घोटालों पर वेब सीरिज ‘एमपी फाइल्स’ बना कर एक-एक कड़ी रोज जारी करेगी।
कांग्रेस को यह प्रेरणा जबलपुर आई कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के भाषण से मिली थी। प्रियंका गांधी ने कहा था कि शिवराज सरकार के 220 माह में 225 घोटाले हुए हैं. यानी हर एक माह में घोटाला हुआ है। इसके बाद बीजेपी सरकार में हुए हर घोटाले पर एक से लेकर डेढ़ मिनट की ‘एमपी फाइल्स’ फिल्म बनाने का निर्णय हुआ। तय किया गया कि हर दिन एक घोटाले पर बनी फिल्म सोशल मीडिया पर रिलीज की जाएगी।
मगर कांग्रेस की यह रणनीति लीक हो गई। वह तय दिन पर बीजेपी सरकार के घोटाले पर फिल्म जारी करती इसके पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के पोस्टर लगा दिए गए। इस पोस्टर का जवाब कांग्रेस ने बीजेपी के भ्रष्टावार पर पोस्टर से दिया। मगर मूल मुद्दा एमपी फाइल्स का आना है। बीजेपी को कांग्रेस की रणनीति की खबर लग गई थी। माना जा रहा है कि कांग्रेस की एमपी फाइल्स का असर कम करने के लिए बीजेपी ने पोस्टर चाल चली है। बीजेपी की यह पोस्टर चाल कांग्रेस की वेबसीरिज ‘एमपी फाइल्स’ को कितना जवाब दे पाएगी, यह तो आगे ही पता चलेगा।