MP BJP में नहीं मिल रहा ‘मान’, ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया परेशान

ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया परेशान हैं कि भाजपा ने ग्‍वालियर सहित 24 जिलों के अध्‍यक्षों की नियुक्ति करते समय उनकी राय तक नहीं ली।

Publish: May 30, 2020, 09:58 PM IST

Photo courtesy : tv9
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कांग्रेस में सम्‍मान न मिलने का तर्क दे कर भाजपा में गए ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया भाजपा में ‘मान’ न मिलने से परेशान हो गए हैं! मंत्रिमंडल विस्‍तार तो एक तरफ, संगठन में हुए बदलावों से पहले सिंधिया की राय लेना तो दूर उन्‍हें बताया भी नहीं गया। अपने प्रभाव के क्षेत्र में जिला अध्‍यक्षों की नियुक्ति होने के बाद सिंधिया को यह खबर मिली। उनके समर्थक भाजपा में जगह बनाने की जद्दोजहद में जुटे हैं जबकि सिंधिया को स्‍वयं अभी स्‍थापित होना है।

कांग्रेस में सिंधिया की हैसियत क्‍या थी यह किसी से छिपा नहीं है। वे कांग्रेस के मुखिया गांधी परिवार में महत्‍वपूर्ण जगह पाते थे और इसी वजह से मध्‍यप्रदेश के संगठनमें अलग दबदबे के साथ नजर आते थे। ग्‍वालियर-चंबल क्षेत्र के अलावा मालवा में रियासत के कारण सिंधिया परिवार का असर रहा है। इस कारण इन क्षेत्रों में हर राजनीतिक निर्णय में सिंधिया परिवार की अहम् भूमिका रही है। सिंधिया परिवार के पसंद-नापसंद के अपने पैमाने हैं और जो इन पैमानों पर खरा नहीं उतरा वह इन क्षेत्रों में नजरअंदाज हुआ है। इसी कारण कांग्रेस में ‘महल’ यानि सिंधिया परिवार के प्रति खासी नाराजगी भी रही है मगर सिंधिया परिवार से नाते के चलते संगठन ने हमेशा इस नाराजगी को अधिक जगह नहीं मिली।

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अब लग रहा है कि भाजपा में जाने के बाद दो माह में ही सिंधिया अपनी यह हैसियत चूक गए हैं। कांग्रेस में थे तब सिंधिया को कोई कुछ कह नहीं पाता था। अब तो उन्‍हीं के क्षेत्र के कद्दावर भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सार्वजनिक रूप से उन पर कटाक्ष ही किया। श्‍योपुर प्रवास के दौरान पोहरी में तोमर नकारात्‍मक बातों को भूल कर काम में जुट जाने की बात कह रहे थे। तभी किसी ने कहा कि क्षेत्र में सिंधिया के लापता होने के पोस्‍टर लगे हैं। इस पर मजाक करते हुए केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि अभी सिंधिया जनप्रतिनिधि थोड़े हैं। जब जनप्रतिनिधि बन जाएं तब पोस्‍टर लगा लेना। खबर है कि तोमर का यह कटाक्ष सिंधिया खेमे में तीर की तरह लगा है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2019 में सिंधिया अपने ही गढ़ में अपने समर्थक रहे एक छोटे कार्यकर्ता से बुरी तरह हारे हैं। बताया जाता है कि उनके भीतर इस हार की कसक है। ऐसे में जब केंद्रीय मंत्री तोमर जैसा गंभीर नेता उन पर कटाक्ष करता है तो बेचैनी तो बढ़ना तय है।

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बात केवल इतनी ही नहीं है। भाजपा ने ग्‍वालियर सहित 24 जिलों के अध्‍यक्षों की नियुक्ति करते समय सिंधिया की राय तक नहीं ली। इतना ही नहीं भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने सांवेर में तुलसी सिलावट से चुनाव हारने वाले राजेश सोनकर को जिला अध्यक्ष बना दिया। तुलसी सिलावट सिंधिया के कट्टर समर्थक हैं और उन्‍हीं के साथ कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में गए हैं। सोनकर को अध्‍यक्ष बनाने से सिलावट की किरकिरी हुई है। अब वे अपने समर्थकों को भाजपा में शामिल करवा कर किसी तरह अपनी जगह बनाने में लगे हैं जबकि सिंधिया तो अपने लोगों को मं‍त्री बनवाने और उनकी टिकट पक्‍की करवाने में ही जुटे हैं। पार्टी के कामकाज में उनकी सहभागिता तो दूर की बात है। सिंधिया और उनके समर्थकों के लिए यही पीड़ा की बात है कि जहां कांग्रेस उन्हें एकछत्र मौका देती थी, वहीं भाजपा ना उनसे और ना ही उनके सहयोगियों से कोई सलाह लेती है।

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गौरतलब है कि मार्च में ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों द्वारा कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। इस कारण अल्‍पमत में आई कांग्रेस सरकार के मुखिया कमलनाथ ने इस्‍तीफा दे दिया था। अब राज्य में रिक्त हुई 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं।

भाजपा में भी सिंधिया की प्रेशर पॉलिटिक्‍स

भाजपा में जगह बनाने के लिए सिंधिया की प्रेशर पॉलिटिक्‍स शुरू हो चुकी है। कहा गया था कि केंद्र में मंत्री पद और प्रदेश में उप मुख्‍यमंत्री तथा डेढ़ दर्जन मंत्री पद की शर्त के साथ वे भाजपा में गए हैं। अब तक ये शर्त पूरी नहीं हुई है। इस कारण सिंधिया खेमे में बेचैनी है। उनके समर्थक उन्‍हें केंद्र में मंत्री बनाने की मांग कर भाजपा पर दबाव बनाने लगे हैं मगर सिंधिया खेमा जानता है कि भाजपा में प्रेशर पॉलिटिक्‍स के केंद्र संघ और अमित शाह, शिवराज सिंह चौहान जैसे नेता हैं। इसलिए सिंधिया समर्थक जनता के बीच खुद को भाजपाई साबित करने में जुटे हैं। मप्र की राजनीति का यह दिलचस्‍प दौर है जहां सिंधिया खेमा स्‍वयं को भाजपाई साबित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं और भाजपा प्रदेश संगठन अभी और जोर आजमाइश करवाने के मूड में दिखाई दे रहा है।