झीरम घाटी हत्याकांड मामले में NIA को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ पुलिस को सौंपा जांच

25 मई 2013 को नक्सलियों ने घटना को अंजाम दिया था। जिसमें 30 से ज्यादा कांग्रेस नेता शहीद हो गए थे।

Updated: Nov 21, 2023, 05:06 PM IST

नई दिल्‍ली। छत्तीसगढ़ के बस्‍तर में साल 2013 में कांग्रेस नेताओं की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट से एनआईए (NIA) को झटका लगा है। कोर्ट ने कहा है कि माओवादी हमलों में बड़ी राजनीतिक साजिश के आरोपों का मामला चलता रहेगा। छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा 2020 में दर्ज की गई नई एफआईआर के खिलाफ एनआईए की याचिका खारिज कर दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम मामले में दखल नहीं देंगे।

सुकमा के झीरम घाटी में 2013 में माओवादियों के हमले में 27 कांग्रेस नेताओं की मौत की जांच एनआईए द्वारा किये जाने के बावजूद, राज्य पुलिस से कराये जाने के राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था। एनआईए इस मामले की जांच 2013 से कर रही है। इस मामले में 39 लोगों को आरोपी बनाया गया है और उनके खिलाफ 2 चार्जशीट दाखिए हुए हैं।

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25 मई साल 2013, यह वह तारीख है जिसे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अपने इतिहास का काला दिन मानती है। इस दौरान राज्य में भाजपा की सरकार थी। बस्तर के झीरम घाटी में माओवादियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला किया था, इस हमले में महेंद्र कर्मा, नंद कुमार पटेल, विद्याचरण शुक्ल, जैसे कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं की हत्या हो गई थी। इस एक हमले में राज्य के सभी बड़े कांग्रेस नेता मारे गए थे।

25 मई को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा थी। जो सुकमा से दर्भा होते हुए जगदलपुर जा रही थी। सामने नंदकुमार पटेल, फिर कवासी लखमा का काफिला था। इनके बाद महेंद्र कर्मा का काफिला आ रहा था। झीरम घाटी पहुंचते ही जंगल से गाड़ियों पर अंधाधुंध गोलियां बरसनी शुरू हो गई थी। लोग संभल पाते तब तक कई लाशें बिछ चुकी थीं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल में बयान दिया था कि साल 2018 में छत्तीसगढ़ में हमारी सरकार बनी। हमने SIT गठित की। हमने प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और NIA को पत्र लिखकर कहा था, यदि आपकी जांच पूरी हो गई हो तो हमें दे दीजिए। हमारी SIT भी जांच करेगी। लेकिन उन्होंने नहीं दिया।हम सब को पता है इस वारदात से किसको लाभ मिला है। इस हमले में जो लोग बचे थे उनसे NIA ने बात तक नहीं की। उनका बयान तक नहीं लिया गया। NIA, पिछले 10 साल में अपराधियों को पकड़ नहीं पाई।