सेंसर बोर्ड के चेयरमैन कभी ऑफिस नहीं जाते, रिश्वतखोरी के आरोपों के बीच पूर्व चेयरमैन का बड़ा दावा

सेंसर बोर्ड के पूर्व चेयरमैन पहलाज निहलानी ने कहा कि आज के वक्त में CBFC में बड़े पैमाने पर करप्शन हो रहा है। यह सब बोर्ड के CEO रविंद्र भाकर के संज्ञान में हो रहा है।

Updated: Sep 29, 2023, 08:39 PM IST

मुंबई। केंद्रीय सेंसर बोर्ड इस वक्त रिश्वतखोरी के आरोप में उलझा है। साउथ एक्टर विशाल ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन पर अपनी फिल्म पास कराने के लिए बोर्ड को 6.5 लाख रुपये घूस देने का आरोप लगाया है। पूर्व सेंसर बोर्ड चेयरमैन पहलाज निहालनी ने एक्टर के इन आरोपों को सही बताया है और यहां तक कहा है कि सेंसर बोर्ड के चेयरमैन पहलाज निहलानी कभी ऑफिस नहीं आते।

दरअसल, साउथ एक्टर विशाल की फिल्म मार्क एंटनी, 15 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। फिल्म का हिंदी वर्जन 28 सितंबर को रिलीज हुई। एक्टर विशाल ने एक वीडियो शेयर सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन यानी CBFC को लेकर बड़ा दावा किया है। विशाल का कहना है कि अपनी फिल्म के हिंदी वर्जन का सेंसर सर्टिफिकेट लेने के लिए उन्हें CBFC को 6.5 लाख रुपये की घूस देनी पड़ी। विशाल का कहना है कि अपने दावों को सही साबित करने के लिए उनके पास सबूत भी हैं। 

विशाल के इस खुलासे के बाद फिल्म इंडस्ट्री में सनसनी मच गई है। इसी बीच अब सेंसर बोर्ड के पूर्व चेयरमैन पहलाज निहलानी का भी बयान आया है। उन्होंने रिश्वतखोरी के आरोपों को सही करार देते हुए कहा कि आज के वक्त में CBFC में बड़े पैमाने पर करप्शन हो रहा है। उन्होंने दावा किया कि यह सब बोर्ड के CEO रविंद्र भाकर के संज्ञान में हो रहा है। पहलाज ने ये भी कहा कि सेंसर बोर्ड के वर्तमान चेयरमैन प्रसून जोशी कभी ऑफिस नहीं जाते। वो घर पर फाइलें मंगाकर चेक करते हैं।

सेंसर बोर्ड के पूर्व चेयरमैन पहलाज निहलानी ने मीडिया से कहा कि बोर्ड चेयरमैन प्रसून जोशी और सीईओ रविंद्र भाकर की नाक के नीचे सब हो रहा है। ऊपर से लेकर नीचे तक हर कोई बिका हुआ है। ऐसे एक नहीं बहुत सारे मामले हैं। CBFC भ्रष्टाचारियों का अड्डा बन चुका है। अधिकारियों को पैसे लेने की आदत हो गई है। वे सोचते हैं कि फिल्म स्टार्स इतने पैसे कमाते हैं, अगर थोड़ा बहुत उन्हें मिल गया तो क्या हो गया। वो जानते हैं कि बिना उनके सिग्नेचर से कोई भी फिल्म रिलीज नहीं होगी।

पहलाज निहलानी ने आगे कहा, 'जब ये सरकार बनी थी तो कहा जा रहा था कि न खाऊंगा न खाने दूंगा, लेकिन सीबीएफसी खुलेआम खा रहा है। और ये लोग रिश्वत ले रहे हैं, बिना उसके ये लोग हैरेस करते हैं। उस प्रोड्यूसर बंदे ने तो अब जाकर हिम्मत दिखाई है। लेकिन बता दूं ये करप्शन का सिलसिला बहुत समय से चल रहा है। मुझे कई प्रोड्यूसर्स के मैसेज आते हैं, वो कहते हैं कि सर आप नहीं थे तो हमें कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन अब जो है, वहां बिना पैसे के कुछ होता ही नहीं है. यहां तक कि लोग फिल्में भी नहीं देखते हैं।'

निहलानी ने कहा, 'मेरी यही राय है कि इंडस्ट्री की भलाई के लिए प्रसून जोशी को इस्तीफा दे देना चाहिए। अगर वो वक्त नहीं दे पा रहे हैं, तो उनका कोई हक नहीं बनता है कि वो उस कुर्सी पर बैठे रहें। वो चेयरमैन ऑफिस में बैठते ही नहीं है और सारा पॉवर सीओ को दे रखा है।'

बहरहाल, रिश्वतखोरी की बात सामने आने के बाद इंडस्ट्री में हड़कंप मच गई है। अब इस मामले में सरकार भी एक्शन में नजर आ रही है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने केस की जांच के लिए अपने एक अधिकारी को मुंबई भेजा है। फिलहाल इस मामले में सेंसर बोर्ड के चेयरमैन प्रसून जोशी अथवा CEO रविंद्र भाकर में से किसी का बयान सामने नहीं आया है।