MP: शादियों के सीजन में किसानों पर संकट, भुगतान के लिए परेशान 3 लाख से ज्यादा किसान

मध्य प्रदेश में 22 अप्रैल तक 3 लाख से ज्यादा किसानों से लगभग 25 लाख मेट्रिक टन गेहूं और 37 हजार किसानों से लगभग 82 हजार मेट्रिक टन चना खरीदा जा चुका है, लेकिन किसानों को अबतक एक भी रुपए नहीं मिले हैं

Updated: Apr 24, 2022, 09:16 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार लगातार बड़े-बड़े आयोजन करवा रही है। इन आयोजनों पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए जा रहे हैं। लेकिन शादियों के इस सीजन में प्रदेश के लाखों किसान परिवारों की खुशियां अटकी हुई है। दरअसल, किसानों ने समर्थन मूल्य पर गेहूं और चने बेचे थे, लेकिन तीन हफ्ते बाद भी उन्हें एक भी रुपए नहीं मिले हैं।

मध्य प्रदेश में 28 मार्च से समर्थन मूल्य पर गेहूं और चने की खरीदी प्रारंभ हुई। 22 अप्रैल तक करीब 3 लाख 4 हजार 610 किसानों से लगभग 25 लाख 76 हजार 56 मेट्रिक टन गेहूं और 37 हजार 211 किसानों से लगभग 82 हजार 527 मेट्रिक टन चना खरीदा जा चुका है। राज्य सरकार ने 10 दिनों के भीतर भुगतान करने का दावा किया था, लेकिन किसानों के खाते में अभी तक एक भी रुपए नहीं पहुंचे हैं।

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रुपए नहीं मिलने के कारण 3 लाख से ज्यादा किसान परिवारों के सामने विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है। किसी के घर में शादी है, तो किसी को अगली फसल के लिए बीज खाद खरीदना है। साहुकार के कर्ज चुकाने हैं, ब्याज प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। उधर सहकारी समितियों से कर्ज लेने वाले किसान भी परेशान हैं। उन्होंने पिछले लोन का ब्याज साढ़े 13 फीसदी के हिसाब से वसूलना शुरू कर दिया है। 

भोपाल जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के पूर्व अध्यक्ष विजय तिवारी का कहना है भुगतान में विलंब का नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है। दरअसल, किसान सहकारी समितियों से अल्पावधि कृषि ऋण लेते हैं। जैसे ही उपज बिकती है तो वे उससे प्राप्त राशि से ऋण चुकाते हैं। इसके बाद उन्हें फिर से ऋण लेने के लिए पात्रता मिल जाती है और स्वीकृत सीमा के अनुसार दोबारा ऋण ले लेते हैं। यही व्यवस्था चलती रहती है। लेकिन इस वर्ष भुगतान न होने से किसान ऋण जमा नहीं कर पा रहे और इस वजह से वे बैंक में डिफाल्टर हो जाएंगे।

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विलंब के कारणों को लेकर कृषि विभाग के मुख्य सचिव फैज अहमद किदवई ने बताया कि इस बार किसानों को भुगतान की व्यवस्था बदली गई है। किसान से खाता नंबर की बजाए सिर्फ आधार नंबर लिया गया है। इससे लिंक खाते में भुगतान किया जाना है। उपार्जन कार्य में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार ने यह व्यवस्था लागू की है।

मामले पर कांग्रेस किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केदार सिरोही ने कहा कि, 'राज्य सरकार और कृषि मंत्री के निकृष्टता का यह नमूना है। जिस प्रक्रिया को 3 दिन में पूरा किया जा सकता है उसमें 25 दिन लग गए। अब भी पता नहीं है कि भुगतान कब तक होगा। किसानों के घर परिवार में शादियां हैं, लेकिन जेब खाली है। कथित किसान पुत्र मुख्यमंत्री को आज किसानों की पीड़ा क्यों नहीं दिख रही है? कृषि मंत्री को सेमिनार से फुर्सत नहीं है। किसान अपने ऊपर हो रही ज्यादतियों का आने वाले चुनावों में मुंहतोड़ जवाब देगा।'