शिवराज सरकार नहीं करती TL बीजों की गुणवत्ता की मॉनिटरिंग, एक और फर्जीवाड़े की बढ़ी आशंका

कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी द्वारा विधानसभा में पूछे गए प्रश्नों के जवाब में कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि बीज नियमों के तहत TL बीज के उत्पादन, मॉनिटरिंग और गुणवत्ता नियंत्रण का प्रावधान नहीं है, कृषि मंत्री के इस जवाब के बाद प्रदेश में बीजों के मामलों में बड़े फर्जीवाड़े की आशंका बढ़ गई है

Updated: Sep 09, 2021, 09:36 AM IST

Photo Courtesy : krishi Jagat
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भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार के पास TL बीजों की मॉनिटरिंग का कोई प्रावधान नहीं है। यह बात खुद कृषि मंत्री कमल पटेल ने कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी द्वारा विधानसभा में पूछे गए प्रश्न के जवाब में स्वीकारी है। कृषि मंत्री कमल पटेल का TL बीजों से जुड़ा जवाब सामने आने के बाद खुद शिवराज सरकार पर ही सवाल खड़े हो गए हैं।

कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी द्वारा विधानसभा में पूछे गए प्रश्नों के जवाब में कृषि मंत्री कमल पटेल की ओर से यह जवाब दिया गया कि बीज अधिनियम 1966, बीज अधिनियम 1968 एवं बीज(नियंत्रण) आदेश के अंतर्गत राज्य सरकार के पास TL (Truth Full labeled Seed) बीज के उत्पादन, मॉनिटरिंग और गुणवत्ता नियंत्रण का कोई प्रावधान नहीं है।

दरअसल मध्य प्रदेश में किसान इस समय अमानक बीजों की समस्या से बुरी तरह से जूझ रहे हैं। जिसका सीधा असर किसानों की फसल पर पड़ता है। फसलें प्रभावित होने के पीछे नकली खाद के साथ साथ अमानक बीज सबसे बड़ा कारण हैं। मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा TL बीज की बिक्री होती है। एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में 70 फीसदी तक TL बीज ही किसानों के पास पहुंचते हैं।

लेकिन शिवराज सरकार में मंत्री कमल पटेल के मुताबिक इन्हीं TL बीज का रिकॉर्ड उनकी सरकार के पास नहीं है। कमल पटेल के इस जवाब के बाद मध्य प्रदेश में बीज और खाद के सेक्टर में कथित तौर पर हो रहे फर्जीवाड़े और घोटालों के दावों को और मजबूती मिली है। 

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इस मामले पर जब हम समवेत ने कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी से बात की तो उन्होंने भी किसानों को उपलब्ध होने वाले अमानक बीजों की बात कही। कुणाल चौधरी ने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ता में वापसी के बाद से ही शिवराज सरकार के संरक्षण में कई प्रकार के माफिया फल फूल रहे हैं। उनमें एक बीज माफिया भी हैं। बीज उत्पादक संस्थाएं अमानक बीज किसानों को उपलब्ध कराती हैं, जिसका सीधा खामियाजा उनकी फसलों को भुगतना पड़ता है। 

कुणाल चौधरी ने सोयाबीन की फसल का उदाहरण देते हुए कहा कि प्रदेश में इस साल 70 से 80 फीसदी तक सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गई है। यह हाल तब हैं जब सोयाबीन की उपज के लिए ज्यादातर जगहों पर मौसम अनुकूल रहा। कुणाल चौधरी ने यह सवाल खड़ा किया कि आखिर क्या कारण है कि मौसम अनुकूल रहने के बावजूद इतनी भारी संख्या में फसल बर्बाद हो गई? 

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कृषि मामलों के जानकार केदार शंकर सिरोही कृषि मंत्री कमल पटेल के जवाब को झूठा करार देते हैं। केदार शंकर सिरोही ने कहा है कि अगर सरकार यह कह रही है कि उसे TL बीज के बारे में जानकारी नहीं है, तो यह सफेद झूठ है। केदार शंकर सिरोही ने आरोपों को सिद्ध करने के लिए 23 अक्टूबर 2020 को कृषि विभाग द्वारा जारी किए गए एक आदेश का हवाला दिया। जिसके मुताबिक कृषि विभाग ने प्रदेश में बिक रहे अमानक बीजों का पता लगाने के लिए जिल स्तर पर जांच कमेटी गठित करने का आदेश जारी किया था। 

केदार शंकर सिरोही ने इस आदेश का हवाला देते हुए कहा कि एक तरफ सरकार कह रही है कि वो TL बीज की मॉनिटरिंग नहीं करती लेकिन दूसरी तरफ खुद सरकार ने ही बीज की जानकारी एकत्रित करने के बहाने आदेश जारी किया। केदार सिरोही ने यह आरोप लगाया कि इस आदेश का एकमात्र उद्देश्य उगाही करना था। आदेश के बहाने अमानक बीज बनाने वाली संस्थाओं से लाइसेंस रद्द कर देने के नाम पर करोड़ों रुपए की उगाही की गई। 

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केदार शंकर सिरोही इस पूरे मामले पर कहते हैं कि मध्य प्रदेश के कृषि क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार का यह एक हिस्सा है। इस फर्जीवाड़े का सीधा और इकलौता नुकसान प्रदेश के किसानों को होता है। अमानक बीज हो या नकली खाद, यह सभी आखिरकार पहुंचता किसानों के खेत में ही है। जिसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ता है। दूसरी तरफ सरकारी संरक्षण में घोटाला और भ्रष्टाचार लगातार बढ़ते जा रहा है। केदार सिरोही ने इस पूरी कथित कुव्यवस्था के लिए कृषि मंत्री कमल पटेल को ज़िम्मेदार ठहराया।