वीगन डाइट से हड्डियां नहीं होंगी कमजोर, अगर इन चीजों को अपनी डाइट में करें शामिल

वीगन डाइट में मीट और डेरी प्रोड्क्ट्स शामिल नहीं होते, जिससे हड्डियों में फ्रैक्चर का खतरा रहता है, लेकिन खाने में कुछ बदलाव करके ये खतरा कम किया जा सकता है

Updated: Dec 15, 2020, 07:42 PM IST

Photo courtesy: The Conversation
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वीगन डाइट ट्रेंडिंग है, आम आदमी हो फिल्म स्टार्स या क्रिकेटर सभी इसी राह पर हैं। वीगन डाइट में जानवरों से मिलने वाले प्रोडक्ट्स जैसे मीट, दूध, और दूसरे डेयरी प्रोडक्ट्स का उपयोग नहीं किया जाता। लोग अंडा, शहद और घी नहीं खाते। वीगन डाइट से वेट कम होता है, इससे शुगर लेवल कंट्रोल रहता है, किडनी संबंधी परेशानियों में भी यह कारगर है। लेकिन इस डाइट में कई पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।

वीगन डाइट प्लान में प्लांट-बेस्ड फूड का ही उपयोग होता हैं। ऐसे लोगों को मल्टीविटामिन्स और मिनरल्स माइक्रो न्यूट्रीयंट्स की कमी हो जाती है, जो एक बड़ी समस्या है। खास तौर पर कैल्शियम और विटामिन बी 12 और प्रोटीन जैसे न्यूट्रीशन जो शरीर के लिए जरूरी है, उनका विकल्प आपके पास होना चाहिए। 

वैसे वीगन खाने कई फायदे बताए जाते हैं, लेकिन फायदों से भरपूर वीगन डाइट आपकी हड्डियों के लिए खतरनाक हो सकता है। एक रिसर्च में इस बात का का खुलासा हुआ है कि वीगन खाना खाने वाले लोगों में फ्रैक्‍चर होने की आशंका ज्यादा होती है।

फोर्टिस अस्पताल की डाइटीशियन श्वेता महादिक का कहना है कि इन दिनों वीगन आहार बहुत फेमस हो रहा है। जिसमें केवल सब्जियां, अनाज, नट और फलों को ही शामिल किया जाता है। वीगन डाइट में दूध और डेयरी उत्पादों, फिश और चिकन का सेवन नहीं किया जाता है। जिससे शरीर में कई पोषक तत्वों जैसे कैल्शियम, बिटामिन बी-12, विटामिन डी, मैग्नीशियम की कमी हो जाती है, जिससे बोन डेंसिटी कम हो जाती है। वीगन डाइट फॉलो करने वालों की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं,  फ्रैक्चर की आंशका बनी रहती है,  जिसमें कूल्हे, पैर, हंसली, पसली और बैकबोन में फ्रेक्चर का खतरा ज्यादा होता है।

वैसे कई वीगन चीजें हैं जो हड्डियां मजबूत करने में सहायक होती हैं। सीताफल में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम होता है, इसके उपयोग से विटामिन डी की कमी पूरी होती है। इसमें नेचुरल विटामिन डी भी होता है। आंवले में कैल्शियम और विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती हैं। अंजीर में पर्याप्त विटामिन और कैल्शियम होता है, जिससे शरीर की हड्डियों को मजबूत करने में सहायता मिलती है। बादाम भी कैल्शियम रिच होता है इसमें विटामिन ई भी होता है।

पिछले दिनों यूफिल्‍ड डिपार्टमेंट ऑफ पॉपुलेशन हेल्‍थ के न्‍यूशनल ऐपिडिमियोलॉजिस्‍ट डॉक्टर टॉमी टोंग की टीम ने एक रिसर्च की थी, जो कि BMC मेडिसिन जर्नल में छपी थी। जिसमें 55 हजार से ज्‍यादा लोगों को शामिल किया गया था।  उसमें पाया गया कि नॉन-वेजीटेरियन खाने वालों की अपेक्षा वेजीटेरियन लोगों में भी वीगन डाइट फॉलो करन वालों की तरह हड्डियों में फ्रैक्‍चर का खतरा ज्यादा रहता है। यह रिसर्च ईपीआईसी-ऑक्सफोर्ड की ओर से की गई है। रिसर्च में शामिल लोगों से उनके 18 साल तक की खानपान संबंधी जानकारियां जुटाई गई थीं ।

इस रिसर्च में 55 हजार लोगों में से दो हजार लोग वेजीटेरियन थे। इसमें पाया गया कि जो लोग मीट नहीं खाते थे उनकी हड्डियों में फ्रैक्चर का खतरा 43 फीसदी अधिक होता है। रिसर्च में यह बात सामने आई कि पिछले 18 साल के दौरान दो हजार वेजीटेरियन लोगों में कुल मिलकार 3,941 फ्रैक्चर हुए। नॉन-वेज अपनाने वाले लोगों की तुलना में वेजीटेरियन लोगों में हिप फ्रेक्‍चर का खरता 2.3 गुना अधिक पाया गया। हड्डियों की मजबूती के लिए शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन और कैल्शियम की जरूरत होती है। मीट में कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन तीनों अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं।