आसान नहीं कोरोना वारियर्स की राह

Publish: May 04, 2020, 05:09 AM IST

देश और दुनियां में इस वक्त अपनी परवाह किये बिना मरीज़ों की जान बचा रहे डॉक्टर्स और हॉस्पिटल स्टाफ को आज हर इंसान सम्मान दे रहा है। एक ओर देश के सैनिक बॉर्डर पर तैनात होकर देश की रक्षा कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर कोविड-19 के दौर में आज ये डॉक्टर्स भी हर नागरिक की ज़िन्दगी बचाकर उन्हें नया जीवन दे रहे हैं। इन वारियर्स को रविवार को वायुसेना ने भी फूल बरसाकर सलामी दी ।  

अपनी ड्यूटी निभाते हुए कोई अपने माता-पिता से दूर है, तो किसी ने हफ़्तों से अपने बच्चों को गले नहीं लगाया है। परिवार वाले सुरक्षित रहें इसलिए डॉक्टर्स और हॉस्पिटल स्टाफ अपने घर भी नहीं जा रहा है। ऐसे में परिवार की याद इन्हे सबसे ज़्यादा सत्ता रही है। 

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याद तो आती है,  लेकिन    

भोपाल की कुलविंदर कौर के कन्धों पर इस वक्त सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है। वे जे.पी. अस्पताल में हैं और फील्ड पर जाकर कोरोना संदिग्धों के सैंपल कलेक्ट करती हैं। जो सबसे बड़ा जोखिम का काम है। वे बताती हैं कि अगर ज़रा सी भी लापरवाही हुई तो वो भी इस संक्रमण की चपेट में आ सकती हैं। लेकिन ये वक्त मानव सेवा का है। इन मुश्किल क्षणों में उन्हें सबसे ज़्यादा चिंता अपने बच्चों की है। बेटी परी और बेटे प्रिंस दोनों की ज़िम्मेदारी उनके पति अखिलेश तिवारी बखूबी निभा रहे हैं। कुलविंदर पिछले कई हफ़्तों से घर से दूर होटल में रह रही हैं। रात को जब वो अस्पताल से होटल आती हैं तब ही बच्चों से वीडियो कॉल के ज़रिये बात हो पाती है। 

परिवार से पहले मानव सेवा 

भोपाल के चिरायु अस्पताल के स्टाफ में शामिल  रचना दादलानी बताती हैं कि पिछले एक महीने  से घर में उनकी बुज़ुर्ग सास की तबीयत खराब है, इस वक्त घर वालों को उनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है। इस मुश्किल वक्त में उन्हें उनकी पति ने परिवार से ज़्यादा मानव सेवा को महत्व देने के लिए कहा। पति और बच्चे घर पर बुज़ुर्ग माँ की सेवा कर रहे हैं और रचना कोरोना संक्रमण से लड़ रहे लोगों की सेवा कर रही हैं। वो बताती हैं कि इस वक्त वे अपने परिवार को सबसे ज़्यादा याद करती हैं। उनके पति और बच्चे ही उनकी सबसे बड़ी ताकत हैं। 

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डॉक्टर पिता पर है गर्व 

बंसल अस्पताल के सीनियर डॉक्टर विनोद तिवारी ड्यूटी पर हैं।  उन्हें खुद से ज़्यादा चिंता अपनी पत्नी और इकलौते बेटे अथर्व की रहती है। डॉ. तिवारी के मुताबिक़ अस्पताल से घर जाने के बाद भी वो अपनी पत्नी और बेटे से दूरी बनाये रहते हैं। अलग कमरे में सोते हैं। साथ में खाना खाये हुए भी डेढ़ महीना हो गया है। अथर्व अभी छोटा है लेकिन वो जानता है कि उसके पापा पर कितनी बड़ी ज़िम्मेदारी है। वो कहता है कि उसे अपने पापा पर गर्व है।