कार्यालय तोड़ना उसी तरह है, जैसे पागल हाथी अपनी सेना को कुचलता है: पूर्व सांसद ने जेपी नड्डा को लिखा पत्र

BJP के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा ने भोपाल के बीजेपी मुख्यालय को तोड़ने के फैसले का विरोध किया है, शर्मा ने कहा कि कार्यकर्ताओं ने पेट काटकर इसे बनाया है

Updated: Sep 14, 2022, 01:08 PM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल स्थित भाजपा मुख्यालय को तोड़ने के फैसले का विरोध शुरू हो गया है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा ने पार्टी के इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर कहा है कि जैसे पागल हाथी अपनी ही सेना को कुचलने लगता है, ये उसी तरह की बात है। उन्होंने तर्क दिया कि सैंकड़ों कार्यकर्ताओं ने पेट काटकर इस कार्यालय के निर्माण में योगदान दिया है।

जेपी नड्डा को संबोधित तीन पन्ने के पत्र में रघुनंदन शर्मा ने लिखा है कि, वीडी शर्मा ने मुझे बताया कि भोपाल में भाजपा कार्यालय दीनदयाल परिसर को ध्वंस किया जा रहा है। यह सुनकर मैं हतप्रभ रह गया। देश में अभी अलगाववादी, आतंकवादी एवं जघन्य अपराध करने वाले अपराधी अथवा अतिक्रमणकारियों के भवनों पर बुलडोजर चल रहा है। किन्तु बीजेपी कार्यालय पर बुलडोजर चले तो हृदय कांप जाता है कि हमारा कार्यालय उपरोक्त में से किस श्रेणी में आता है?'

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शर्मा ने आगे लिखते हैं कि, 'मुझे यह जानकारी दी गई है कि प्रदेश के लोग इसका नवीनीकरण या सौंदर्यीकरण चाहते थे, किन्तु राष्ट्रीय नेतृत्व ने इस कार्यालय को ध्वंस करके नया बनाने का आदेश दिया। मेरा प्रश्न है कि क्या राष्ट्रीय नेतृत्व ने इस कार्यालय का सर्वांग भ्रमण कर पूरा देखा है? जिसे देखा नहीं उसे मिटाकर नया बनाने का निर्णय, दिल्ली से दौलताबाद राजधानी बनाने जैसा ही उदाहरण है।'

पत्र में उन्होंने लिखा है कि, 'इस कार्यालय को बनाने में मध्यप्रदेश के छोटे से छोटे कार्यकर्ताओं का योगदान है। एक-एक कार्यकर्ता ने खुशी-खुशी सहयोग किया है। कई गरीब कार्यकर्ताओं ने अपना पेट काटकर योगदान दिया है। कुशाभाऊ ठाकरे, प्यारेलाल खंडेलवाल, नारायण प्रसाद गुप्ता, वीरेन्द्र कुमार सकलेचा, सुन्दरलाल पटवा, कैलाश चन्द्र जोशी जैसे अनेक नेताओं का सपना था कि राजधानी में अपना कार्यालय बने। उसी सपने का मूर्त रूप है दीनदयाल परिसर। यह उन तपस्वियों का स्मारक है। इस स्मारक को तोड़ना अनेक समर्पित एवं निष्ठावान कार्यकर्ताओं के हृदय पर पत्थर मारने जैसा है। ऐसा कार्य कोई पत्थर जैसे कठोर हृदय का व्यक्ति ही कर सकता है।'

उन्होंने यह भी लिखा कि फैसला लेने से पहलेवरिष्ठ कार्यकर्ता जैसे सुमित्रा महाजन, विक्रम वर्मा, हिम्मत कोठारी, मेघराज जैन, रघुनंदन शर्मा, भवरसिंह शेखावत, माखन सिंह चौहान में से किसी से भी परामर्श नहीं लिया गया। यह दीनदयाल परिसर शुभ है, इसमें कार्यालय आने के बाद, हम विधानसभा, लोकसभा ऊपर नीचे सब संस्थाओं में विजयी होते रहे हैं। इस कार्यालय को ध्वस्त करना हजारों कार्यकर्ताओं की भावनाओं का दमन है। आप जिले-जिले में जाकर तो पूछिये! कोई नहीं चाहता देश के सबसे बड़े सुन्दर कार्यालय को तोड़ा जाए। दीनदयाल परिसर के निर्माण का मैं ऐसा साक्षी हूं जिसकी आखों के सामने नींव से लेकर शिखर तक का निर्माण हुआ है।'

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उन्होंने आगे लिखा कि, 'मैं स्वयं रात-रात भर जगा हूँ कई बार प्रातः 5 बजे से रात्रि 12 बजे हम लोग काम में लगे रहते थे, नीमच फैक्ट्री से सस्ती सीमेन्ट लाना, इदौर से सीधे स्टील फैक्ट्री से स्टील लाना। आप लोग इसकी कल्पना भी नहीं  कर सकते है। हमने झोपड़ीनुमा कमरों में बैठकर विशाल संगठन खड़ा किया है। दिल्ली में हमने भले ही विशाल राजमहल जैसा कार्यालय का निर्माण किया किन्तु वहां संगठन सिकुड़ गया। विधानसभा में अब दो-दो बार दहाई की संख्या पार नहीं कर पाये। छोटे कार्यालय में विशाल हृदय के विराट भावनाओं के कार्यकर्ताओं के माध्यम से बृहद संगठन खड़ा हुआ है। बड़े भवनों में बैठकर छोटे हृदय से संगठन भी बड़ा कर लेंगे यह सोच असफल हुई है। चने खाकर निर्धन अभावग्रस्त जन सामान्य का मन जीतने वाले कार्यकर्ता गण झोपड़ी में बैठकर भी अजेय पताका फहराने में समर्थ हैं।'

रघुनंदन शर्मा के मुताबिक वीडी शर्मा ने कहा कि रिनोवेशन की अनुमति मांगी थी। हमें विध्वंस का आदेश दे दिया। कहीं ऐसा न हो कि इस अपरिपक्व निर्णय का विरोध करने के लिए कार्यकर्ताओं को बुलडोजर के सामने छाती अड़ाकर खड़ा होना पड़े। इसे गिराने का कार्य न करो तो ही अच्छा है। युद्ध में जब हाथी पगला जाता है तो यह अपनी सेना को ही कुचलने लगता है। हम भी अपनी ही पार्टी कार्यालय को अपने हाथों से तोड़ने का दूषित विचार मन में ला रहे हैं। आपके पास अकूत धन संपदा सचित हो गई है तो आप घास में ही नई भूमि खरीद कर विशाल नया कार्यालय बनवा सकते हैं।