दिग्विजय सिंह पर लगा मानहानि का मुक़दमा ख़ारिज, संघ कार्यकर्ता से जुड़े मामले में अदालत ने किया बरी

भोपाल एमपी एमएलए कोर्ट ने माना कि दिग्विजय सिंह के बयान से परिवादी हेमंत सेठिया की मानहानि नहीं हुई है, इसलिए याचिका निरस्त की जाती है

Updated: Apr 28, 2023, 08:56 PM IST

भोपाल। मानहानि के एक मामले में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। एमपी-एमएलए कोर्ट भोपाल ने संघ से जुड़े हेमंत सेठिया की याचिका पर फैसला देते हुए पूर्व सीएम को बरी कर दिया है। शुक्रवार को हुई सुनवाई में विशेष न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि सिंह के बयान से परिवादी की मानहानि नहीं हुई है।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने 26 नवंबर 2021 को कांग्रेस पार्टी के जन-जागरण अभियान के अंतर्गत ग्राम पिपलिया कलां तहसील खिलचीपुर जिला राजगढ़ में एक जनसभा को संबोधित किया था। उस दौरान स्थानीय लोगों ने उन्हें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े हेमंत सेठिया की जमाखोरी और कालाबाजारी को लेकर शिकायत की थी। तब दिग्विजय सिंह ने उपस्थित जन समुदाय से कहा था, "मैं आपको एक सुझाव दे रहा हूं कि एक दिन उसकी दुकान और घर के सामने सारे किसान इकट्ठे हो जाओ और जाकर रामधुन गाओ, ईश्वर अल्लाह तेरो नाम इसको सन्मति दे भगवान। तैयार हो तो प्रियव्रत सिंह तारीख तय करेंगे और वहां 3 घंटे का रामधुन का कार्यक्रम होगा।"

यह भी पढ़ें: आयुष्मान भारत योजना में अरबों का घोटाला, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने की CBI जांच की मांग

इसी बयान को लेकर परिवादी हेमंत सेठिया ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह पर मानहानि का केस दर्ज कराया था। दिग्विजय सिंह की ओर से पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता अजय गुप्ता ने अपनी दलील प्रस्तुत करते हुए कहा कि परिवादी के संबंध में उस सभा में उपस्थित व्यक्तियों द्वारा शिकायत किए जाने पर दिग्विजय सिंह ने सभी को इकट्ठे होकर रामधुन गाने का सुझाव दिया गया है। सिंह का आशय ये था कि परिवादी कालाबाजारी और अन्य गलत कार्य बंद कर दे। ऐसे में यह मानहानि का मामला नहीं बनता।

यह भी पढ़ें: ठग किरण भाई पटेल को जेड प्लस सिक्योरिटी किसने दी, दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी से पूछे कई सवाल

गुप्ता ने तर्क देते हुए कहा कि, "परिवाद पत्र में उल्लेखित ट्रांसक्रिप्ट में दिग्विजय सिंह द्वारा पूछा गया कि हेमंत सेठिया कौन है? इससे स्पष्ट है कि दिग्विजय सिंह हेमंत सेठिया से पूर्व से परिचित नहीं हैं और जो बातें कही गयी हैं, वह उनके समक्ष शिकायत के रूप में प्रस्तुत की गयीं। उनकी प्रतिक्रिया भविष्य में किए जाने वाले कार्य के संबंध में हैं जो एक प्रोत्साहन की श्रेणी में आता है। जो शब्द इस्तेमाल किए गए हैं वे शब्द भारतीय दंड संहिता की धारा 499 की अपेक्षा को पूरा नहीं करते हैं।"

भोपाल में एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश पारित किया कि सिंह के बयान से परिवादी की मानहानि नहीं हुई। कोर्ट ने कहा कि प्रतिष्ठा का अधिकार अनुच्छेद 21 के अंतर्गत मौलिक अधिकार है किंतु इस प्रकरण में जो बातें कही गई हैं, उसे दिग्विजय सिंह का आशय या परिवादी की मानहानि करना नहीं कहा जा सकता है। इस प्रकार उपरोक्त संपूर्ण तथ्य एवं परिस्थितियों में दिग्विजय सिंह पर मानहानि का आरोप नहीं लगाया जा सकता है। ऐसे में पुनरीक्षणकर्ता की ओर से प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका सारहीन होने से निरस्त की जाती है। बता दें कि इसी हफ्ते मानहानि के एक अन्य मामले में दिग्विजय सिंह के विरुद्ध आरोप तय हुए हैं।