कुव्यवस्थाओं को उजागर करना पड़ा महंगा, भिंड में तीन पत्रकारों के खिलाफ FIR दर्ज

मरीज को ठेले पर ले जा रहे परिजनों का वीडियो शेयर करने के मामले में हुई एफआईआर, कलेक्टर में रिपोर्ट को बताया भ्रामक और झूठा, पत्रकारों में आक्रोश

Updated: Aug 22, 2022, 03:02 AM IST

भिंड। बीजेपी शासित मध्य प्रदेश में कुव्यवस्थाओं की पोल खोलना मीडियाकर्मियों को महंगा पड़ रहा है।
भिंड में पुलिस ने तीन पत्रकारों पर “झूठी” व “भ्रामक” खबर चलाने का आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज की है। इन पत्रकारों ने लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को पोल खोलते हुए एंबुलेंस की जगह ठेले पर मरीज को अस्पताल पहुंचाने संबंधी खबर दिखाया था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी की शिकायत पर जिला पुलिस ने IPC की धारा 420 ,505 (2) और आईटी एक्ट की धारा 66 (F)1 के तहत FIR दर्ज की है। डीएम का कहना है कि उन्होंने एंबुलेंस न मिलने की खबर चलाई, जबकि एंबुलेंस के लिए कोई कॉल ही नहीं आया था।FIR में स्थानीय पत्रकार कुंजबिहारी कौरव, अनिल शर्मा और एनके भटेले को आरोपी बनाया गया है जो क्रमशः न्यूज 18, राजस्थान पत्रिका और न्यूज 24 के लललूराम से जुड़े हुए हैं।

यह भी पढ़ें: व्यापमं व्हिसल ब्लोअर आशीष चतुर्वेदी की हालत स्थिर, सर गंगाराम अस्पताल में मिलने पहुंचे दिग्विजय सिंह, इलाज में मदद का दिया भरोसा

यह पूरा मामला जिले मर्पुरा गांव से जुड़ा हुआ है। यहां बीते दिनों 40 वर्षीय ग्यास प्रसाद विश्वकर्मा की तबियत खराब हुई थी। इसके बाद परिजन उन्हें हाथ ठेले पर लिटाकर अस्पताल ले गए। स्थानीय पत्रकारों ने इसका वीडियो बनाकर शेयर किया। उन्होंने इस रिपोर्ट में पीड़ित के परिजनों को दिखाया था और स्वास्थ्य व्यवस्था की खस्ता हालत पर टिपण्णी की थी।

मीडियाकर्मियों खबर में दावा किया था कि ग्यास प्रसाद के परिजन उन्हें ठेले पर ले जाने के लिए इसलिए मजबूर हुए क्योंकि 108 पर कई बार फ़ोन करने के बाद भी कोई उत्तर नहीं मिला। इसके बाद परिजनों को मजबूरन ठेले पर मरीज को लेकर 5 किलोमीटर दूर अस्पताल जाना पड़ा।

वीडियो वायरल होने के बाद जिलाधिकारी ने कथित रूप से इन्क्वायरी करवाई जिसमें कहा गया कि ये खबर झूठी थी, क्योंकि एम्बुलेंस के लिए कोई कॉल ही नहीं की गई थी। इसके बाद स्वास्थ्य अधिकारियों की शिकायत के आधार पार एफआईआर दर्ज की गई। 

हालांकि, पीड़ित के बेटे हरिकृष्णा और बेटी पुष्पा ने कहा कि उन्हें फोन कॉल के बावजूद एम्बुलेंस नहीं मिलने के बाद गाड़ी को 5 किमी तक धकेलना पड़ा।
संवाददाताओं के खिलाफ एफआईआर की घटना को लेकर राजयभर के मीडियाकर्मियों में उबाल है।