नाबालिग रेप पीड़िताओं के लिए फंड, कांग्रेस बोली- बलात्कार रोकने के लिए कदम उठाए सरकार
मध्य प्रदेश सरकार ने एक लाख सरकारी पदों पर भर्ती की घोषणा की है, जिसकी प्रक्रिया दिसंबर 2024 तक शुरू की जाएगी। कैबिनेट बैठक में हुए इस निर्णय को लेकर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
मध्य प्रदेश सरकार ने एक लाख सरकारी पदों पर भर्ती की घोषणा की है, जिसकी प्रक्रिया दिसंबर 2024 तक शुरू की जाएगी। कैबिनेट बैठक में हुए इस निर्णय को लेकर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि यह योजना दिखावे से ज्यादा कुछ नहीं है और सरकार की प्राथमिकताएं गलत दिशा में हैं। पटवारी ने सवाल उठाया कि सरकार बलात्कार जैसी गंभीर घटनाओं को रोकने के ठोस कदम उठाने की बजाय केवल बाद की परिस्थितियों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया कि नाबालिग रेप पीड़िताओं के लिए हर जिले में कलेक्टर को 10 लाख रुपए का फंड दिया जाएगा, ताकि गर्भवती पीड़िताओं और उनके बच्चों की सहायता हो सके। इसके तहत चाइल्ड केयर यूनिट की स्थापना, काउंसलिंग, शिक्षा की व्यवस्था, और व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए 23 साल की उम्र तक 4000 रुपए की मासिक आर्थिक सहायता देने का प्रावधान होगा।
कांग्रेस ने इस योजना पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह कदम समस्या के मूल कारण को नजरअंदाज कर रहा है। जीतू पटवारी ने कहा कि सरकार को बलात्कार रोकने के उपायों पर पहले ध्यान देना चाहिए, न कि घटनाओं के बाद के सुधारों पर। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के पास न तो पर्याप्त पुलिस बल है, न ही आधुनिक संसाधन। वर्तमान में पुलिसकर्मियों की संख्या आवश्यक संख्या से 50% कम है, और महिला पुलिसकर्मियों की भर्ती की स्थिति भी बेहद चिंताजनक है।
वहीं मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने 10 महीने का कार्यकाल पूरा कर लिया है, और इस पर भी पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सरकार पर तीखे सवाल उठाए हैं। पटवारी भोपाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की 33 योजनाओं को बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि जनता ने शिवराज सिंह के नाम पर वोट दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी डॉ. मोहन यादव को मोदी जी ने दी।
पटवारी ने सरकार पर लाड़ली बहनों को 3000 रुपये मासिक देने और 450 रुपये में गैस सिलेंडर देने के वादे पूरे न करने का आरोप लगाया। उन्होंने पूछा कि इन वादों का क्या हुआ और बहनों के हित में की गई घोषणाएं कब पूरी होंगी।
किसानों के मसले पर भी सवाल उठाते हुए पटवारी ने कहा कि गेहूं और धान के लिए तय न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है और खाद की कमी से किसान परेशान हैं। उन्होंने कहा कि नशे का कारोबार प्रदेश में बढ़ता जा रहा है और युवाओं को रोजगार देने के वादे पर सरकार ने कुछ नहीं किया है।
आदिवासी और दलित समुदायों के लंबित अधिकारों, बैकलॉग भर्तियों और छात्रवृत्ति न मिलने पर भी पटवारी ने सवाल उठाए। उन्होंने बेटियों की सुरक्षा, पंचायत सदस्यों के अधिकार, अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण और 'कमाओ योजना' बंद करने के मुद्दे पर सरकार को घेरा।
पटवारी ने कहा कि प्रदेश में आदिवासी और दलितों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ रही हैं और सरकार ने इन समुदायों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। उन्होंने सरकार से पूछा कि पूर्ववर्ती 33 योजनाएं क्यों बंद की गईं और क्या इन्हें फिर से शुरू करने की कोई योजना है।