Indore SHO: दिन में सिपाही और रात में शिक्षक

MP Police: मज़दूर के बेटे राज को एसएचओ विनोद दीक्षित के रूप में मिला आदर्श शिक्षक, राज का पुलिस में शामिल होने का सपना पूरा करने का जतन

Updated: Jul 31, 2020, 12:42 AM IST

इंदौर। कोरोना संकट काल ने इंदौर में खाकी वर्दी में सेवा कर रहे एक पुलिस अफसर को रातों–रात शिक्षक बना दिया है। इंदौर के स्टेशन हाउस अफसर अपनी वर्दी का कर्तव्य निभाते हुए एक 12 वर्षीय बच्चे को पढ़ा कर देश के प्रति अपनी अनकही जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं। समाज में वंचित कहे जाने वाले तबके से आने वाले राज को एसएचओ विनोद दीक्षित के रूप में एक आदर्श शिक्षक मिला है जो उसके पुलिस बल में शामिल होने के सपने को साकार करने की पहली सीढ़ी हैं।

दरअसल, तालासिया के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) दीक्षित लॉकडाउन के दौरान अपने पड़ोस में गश्त कर रहे थे तभी वे राज से पहली बार मिले थे। दीक्षित ने अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस से बताया 'लॉकडाउन के दौरान मैं उस कुख्यात इलाके में गश्त कर रहा था, जहां राज रहता है। वह अचानक मेरे पास आया और उसने मुझे बताया कि वह एक पुलिस अधिकारी बनना चाहता है लेकिन वो अपनी पढ़ाई का खर्च वहन करने में सक्षम नहीं है।'

राज के पिता एक मजदूर और दादा सड़क किनारे खोमची वाले हैं। राज का केवल एक ही लक्ष्य है - पुलिस बल में शामिल होना। राज ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया 'लॉकडाउन के दौरान पुलिस की निस्वार्थ सेवा को देख कर मुझे प्रेरणा मिली। तभी मैने तय किया कि मैं भी एक पुलिसकर्मी बनूंगा। मैंने चाचा जी (दीक्षित) को गश्त करते हुए देखा और उनके पास गया तो उन्होंने मुझे पढ़ाने की पेशकश की।'

हालांकि, उनकी यात्रा आसान नहीं रही है। कोई कक्षा, कुर्सियाँ या डेस्क न होने के कारण, एसएचओ कक्षाओं के संचालन करने के लिए किसी भी अच्छी तरह से रोशनी वाले जगह की तलाश करते रहते हैं। पिछले दो महीनों से दीक्षित राज को इंग्लिश और मैथ्स कभी एटीएम के पास पढ़ा रहे हैं तो कभी-कभी अपनी जीप के बोनट पर। दीक्षित ने कहा, 'जब भी मैं इलाके के आसपास होता हूं, तो राज मेरे पास पहुंच जाता है और जहां भी रोशनी होती है, हम वहां पढ़ने के लिए बैठ जाते हैं।'

दिलचस्प बात यह है कि दीक्षित के लिए राज उनका पहला छात्र नहीं है। वह बताते हैं कि 'जब मैं धार और रतलाम में तैनात था तब मैंने वहां भी कई बच्चों को पढ़ाया है। उनमें से कुछ पुलिस बल में भी शामिल हो गए हैं।' दीक्षित ने बताया कि वो हर उस बच्चे की मदद करना चाहते है जो पढ़–लिख कर पुलिस विभाग में शामिल होने में रुचि रखता है। उन्होंने कहा कि वह ऐसे बच्चों को अपनी तरफ से हर संभव प्रशिक्षण देने के प्रयास करते रहते है।