MP के इस गांव में नहीं जलती है होलिका, सदियों पहले होलिका दहन के दिन जल उठा था गांव

गांव के बुजुर्गों के मुताबिक गांव बसने के बाद पहली बार लोग जब होलिका दहन होलिका दहन करने गए, तभी गांव की सभी झोपड़ियों में अचानक आग लग गई थी

Updated: Mar 17, 2022, 07:08 AM IST

सागर। देश प्रदेश में आज होलिका दहन की जोर-शोर से तैयारियां चल रही है। लेकिन मध्य प्रदेश के सागर जिले का एक गांव ऐसा भी है जहां हर साल की तरह इस बार भी होलिका दहन के मौके पर सन्नाटा पसरा हुआ है। दरअसल, इस गांव में सदियों पहले होलिका दहन के दिन भयंकर आग लगी थी, तब से यहां के लोग होलिका दहन नहीं करते हैं।

सागर जिला मुख्यालय से करीब 55 किलोमीटर दूर देवरी ब्लॉक के ग्राम पंचायत चिरचिरा में एक हथखोय नामक गांव है। ग्रामीणों की मानें तो सदियों से इस गांव में कभी होलिका दहन नहीं हुआ। मान्यता है कि होलिका दहन करने से झारखंडन माता नाराज हो सकती हैं। हथकोय निवासी सरपंच चंद्रभान लोधी बताते हैं कि उनकी तीन पीढ़ियों ने भी गांव में होलिका दहन होते नहीं देखा। 

गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि जब गांव बसा था। उस समय होली पर्व पर गांव में होलिका दहन की जोर-शोर से तैयारियां हुई। पूरे गांव के लोग होलिका जलाने गए थे। तभी गांव के झोपड़ियों में अचानक आग लग गई। आग तेजी से बढ़ती जा रही थी। ग्रामीण गांव में स्थित मां झारखंडन के मंदिर में पहुंचे और सुरक्षा की कामना की। तब जाकर आग बुझ सकी थी। झारखंडन माता के प्रति आस्था के कारण ग्रामीण गांव में होलिका दहन नहीं करते। इसे आस्था कहें या अंधविश्वास, लेकिन गांव में होलिका दहन नहीं होता। 

गांव के 60 वर्षीय सुखराम आदिवासी बताते हैं कि होलिका दहन की रात गांव में आम रातों की तरह ही बीतती है। ऐसे में गोपालपुरा, चिरचिरा, मुर्रैई आदि पड़ोसी गांव हमें होलिका दहन का निमंत्रण देते हैं। निमंत्रण पर गांव के लोग गाना-बाजा के साथ पड़ोसी गांव में जाते हैं। जहां फाग गाते हुए होलिका दहन कराते हैं। गांव में धुलेंडी से रंगपंचमी तक होली खेली जाती है। धुलेंडी के दिन गांव के सभी लोग पहले माता झारखंडन को गुलाल लगाते हैं। उसके बाद एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर होली पर्व की बधाई देते हैं।