सत्ता के हनक में मंत्री के शागिर्दों ने पद्मश्री पुरु दाधीच के साथ किया दुर्व्यवहार, उम्र का भी नहीं रखा ख्याल

विश्वविख्यात कथक कलाकार पुरु दाधीच के साथ पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर के शागिर्दों ने किया दुर्व्यवहार, 83 साल की उम्र में दुत्कार कर कुर्सी से हटाया, आहत कलाकार ने कहा- बेइज्जत होकर तेरे कूचे से हम निकले

Updated: Jan 22, 2022, 01:05 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में कला जगत में एक से बढ़कर एक विभूति हुए। लेकिन प्रदेश में इन दिनों दिग्गज कलाकारों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं लगातार सामने आ रही है। हालिया मामला इंदौर का है जहां विश्वविख्यात कथक नर्तक व पद्मश्री से सम्मनित गुरु पुरुषोत्तम दाधीच को बुरी तरह से अपमानित किया गया। पुरु दाधीच के साथ दुर्व्यवहार करने वालों में और कोई नहीं बल्कि मध्य प्रदेश की पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर के शागिर्द शामिल हैं।

दरअसल, पद्मश्री पुरु दाधीच को राग अमीर संगीत समारोह में अतिथि के रूप में बुलाया गया था। यहां सत्ता के हनक में पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर के शागिर्दों ने सारी सीमाएं लांघ दी। इंदौर में विश्वविख्यात कथक कलाकार पुरु दाधीच को मंत्री उषा ठाकुर के सामने न केवल दुत्कारा बल्कि कुर्सी से उठा दिया। हैरानी की बात यह है कि इस दौरान दाधीच के उम्र का भी ख्याल नहीं रखा गया। 83 वर्षीय दाधीच जब अपमान का घूंट पीकर बाहर आए तो उन्होंने आयोजकों से कहा कि 'बहुत बेइज्जत होकर तेरे कूचे से हम निकले'। 

पुरु दाधीच ने इस संबंध में एक ऑडियो संदेश भी जारी किया है। इसमें वे आयोजको से कहते हैं कि, 'मैं समय से पूर्व रविंद्र नाट्य गृह में पहुंचा और काफी देर तक वहां अकेले बैठा रहा। फिर चहलकदमी के लिए बाहर गया तब मंत्री उषा ठाकुर पधारीं। उनके साथ उनके तमाम लग्गु-भग्गू/चमचे आए। पूरी भीड़ थी। वहां सबसे आखिर एक कुर्सी बाकी थी। मैं जब कुर्सी पर बैठने लगा तो मंत्री पीए ने मुझे हटा दिया। इस तरह अपमानित होकर, बेइज्जत होकर तेरे कूचे से हम निकले। हम वापस घर आ गए हैं। आपने जो सम्मान दिया उसके लिए शुक्रिया।' 

मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलुजा ने कहा है कि पद्मश्री और देश के गौरव श्रद्धेय पुरु दाधिच जी के साथ हुआ दुर्व्यवहार, पूरे शहर का अपमान है, कला जगत का अपमान है। गुरु जी का संदेश सुना, वो इस घटना से बेहद आहत हुए। मंत्री उषा ठाकुर को इस घटना के लिये गुरु जी से माफ़ी माँगना चाहिए और इस दुर्व्यवहार की घटना पर अपने निजी सचिव को तत्काल हटाना चाहिये। इंदौर को संस्कारो की नगरी कहा जाता है,यहाँ की मेहमाननवाज़ी की तारीफ़ पूरे देश में होती है, ऐसी घटनाएँ शहर की इस छवि को ख़राब करती है।'